जयपुर। बिजनेस में जब आप प्रचार करते हैं तो हमेशा इसका लक्ष्य एक नहीं होता। कभी इसका उद्देश्य किसी नए प्रोडक्ट को लाने की जानकारी देना होता है, तो कभी किसी पुराने प्रोडक्ट में नया फीचर लेकर आने के बारे में, विज्ञापन कभी पुराने नाम को बदलकर नया नाम रखने के लिए किया जाता है तो कभी यह प्रचार अपने पूरे बिजनेस का नाम बनाने के लिए किया जाता है। यह पूरी तरह से प्रभावी तभी होता है, जब आपके सामने आपका यह लक्ष्य अच्छी तरह से स्पष्ट हो। एडवर्टाइजिंग को सफल तभी बनाया जा सकता है, जब आपके दिमाग में यह स्पष्ट हो कि आप इसके जरिए हासिल क्या करना चाहते हैं।
प्रोडक्ट नया या फीचर
जब नया प्रोडक्ट लाएं तो उसे पहले से मौजूद ऐसे प्रोडक्ट्स की तुलना में श्रेष्ठ साबित करना होगा। पुराने प्रोडक्ट में नया फीचर लाएं तो इस फीचर की प्रासंगिकता और जरूरत स्थापित करनी होगी।
बचाना है नाम
जब कंपनी की साख को हाल ही में किसी विवाद के चलते नुकसान पहुंचा होता है, तब नाम बचाने के लिए एडवर्टाइजिंग का सहारा लिया जाता है। इस दौरान जोर नए प्रोडक्ट पर नहीं, बल्कि कंपनी के अच्छे कार्यों और उपलब्धियों पर रहता है।
बदलना है नाम
नाम बदलने के कई कारण होते हैं लेकिन उद्देश्य बिजनेस में सकारात्मकता लाना ही होता है। पिछले क्लाइंट बेस से हाथ नहीं धोना चाहते तो यह जरूर प्रचारित करें कि हम पहले कौन थे और अब क्या बन रहे हैं।