छोटी उम्र में शादी हो गई और मैं तीन बच्चियों की मां बन गई। पति सिक्योरिटी गार्ड थे पर अस्थमा के चलते काम छूट गया। फिर मैंने मोर्चा संभाला। सुबह चार बजे उठ कर नकली कॉस्ट्यूम ज्वैलरी बेचने के लिए लोकल ट्रेन जाना, वहां से ६-७ बजे तक निकल कर घरों में खाना बनाने के लिए पहुंचना। ऐसे ही एक घर की मालकिन ने ‘मेड लोग’ नाम से बाइयों का टैलेंट शो करवाया, किसी ने गीत गाए कोई नाची पर मैंने कॉमेडी की। यहीं से आगे की राह बन गई। अब मुझे कई मंचों से बुलावे आ रहे हैं।
मैं आज भी काम वाली बाई हूं, लेकिन खुद को कॉमेडियन के रूप में स्थापित करना मेरा नया संघर्ष है। संघर्ष कभी खत्म नहीं होता, बस अपना रूप बदल लेता है। मैंने अपने आस-पास से सीखा है और सबसे यही कहूंगी कि आप जहां हैं, वहीं से शुरुआत करते हुए आगे बढि़ए। मैं भी बढ़ रही हूं और अभी आगे जाना है।
शौक को मांजते रहिए बचपन में, शादी के बाद और लोगों के घरों में काम करते हुए भी, मैं जहां खड़ी होती थी, लोग मुझे घेर लेते थे कि चलो इसी बहाने कुछ हंसना हो जाएगा। मेरे पास बड़ा बिजनेस करने के लिए पैसा नहीं था लेकिन एक प्रतिभा थी जो धीरे-धीरे मंजती गई और आज उसी की बदौलत मंजर बदलता दिख रहा है।