वह बचपन का एक दिन था। धूप के सुनहले सिक्के अपनी मुट्ठियों में भरने की कोशिश कर रही थी। छत के जंगलों से छनकर आती हुई धूप को मुट्ठियों में भरने का जतन करते हुए पिताजी ने मुझे देखा और पूछा कि मैं इस धूप का क्या करने वाली हूं! मैंने उन्हें बताया कि मैं इन्हें स्कूल बैग में भरना चाहती हूं ताकि उसमें अंधेरा न रहे लेकिन मुट्ठी बंद करते ही यह बाहर निकल रहे हैं! डैड ने कहा यही जीवन है, यहां ऐसा बहुत कुछ है जो मुट्ठी कसने के साथ ही बाहर निकल जाता है, जैसे रेत, पानी, हवा, धूप! इनका बस होना पर्याप्त है, उन्हें मुट्ठी में कसना नहीं!
मेरी पृष्ठभूमि आर्मी की है। मेरे डैड आर्मी ऑफिसर रहे हैं, जबकि भाई नौसेना से हैं। मैं आर्मी स्कूल से पढ़ी हूं, इसलिए जानती हूं कि जीवन में अनुशासन का महत्व क्या होता है। अनुशासन आपको बांधता नहीं, बल्कि संभावनाओं के लिए खोलता है। मैंने बॉलीवुड के लिए तैयारी नहीं की पर मॉडलिंग पसंद थी। रैंप पर सफलता ने ‘रब ने बना दी जोड़ी’ के ऑडिशन तक पहुंचा दिया। मैं जो कुछ भी हूं, आत्मविश्वास की वजह से हूं।
अच्छा नहीं है खुद पर संदेह
कभी खुद को लेकर संदेह में न रहें। आपका अपने प्रति एटीट्यूट ही यह तय करेगा कि दूसरे आपके साथ कैसे बर्ताव करते हैं। अपनी मौलिकता को बचाएं। आपके होने की सार्थकता यही है कि वही बने रहें जो आप हैं और उसी में सुधार करें।
अपने फैसले पर डटे रहिए
जब तक सामने वाला खुद को सही साबित न कर दें, अपने पक्ष को सही मानें और उस पर डटे रहें। आपका कोई स्टैंड होना चाहिए।
काम, व्यवहार को लेकर स्पष्ट नजरिया होना चाहिए।
मैं नहीं मानती कि इस धरती पर कोई एक भी व्यक्ति ऐसा होगा, जिसमें कोई प्रतिभा नहीं होगी। इससे भी बड़ी बात यह है कि अगर आपको अपनी प्रतिभा का पता चल गया है तो किसी जौहरी की तलाश में उम्र गुजारने की बजाय अपनी खूबी पर विश्वास को बढ़ाएं। खुद मुझे भी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। कभी मॉडलिंग के शो से निकाला गया तो कभी टीवी एड से, लेकिन मैं हमेशा आत्मविश्वासी बनी रही।