कुवैत में जन्में मिकी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई और लेबनान में हासिल की। फिर 17 साल की उम्र में वह लंदन अकाउंटिंग स्कूल में पढऩे चले गए, लेकिन वहां पर मिकी कुछ एग्जाम नहीं दे पाए। इस कारण उन्हें निकाल दिया गया। उनके पास ऐसी कोई डिग्री नहीं थी, जिससे उन्हें लंदन में जॉब मिल सके। ऐसे में उन्हें अपनी आजीविका चलाने के लिए वहां के होटलों में कमरे साफ करने का काम करना पड़ा। यही नहीं, उन्होंने वहां पर टैक्सी भी चलाई। करीब एक साल लंदन में काम करने के बाद वह वापस कुवैत आ गए। यहां लौटने के बाद कुछ समय के अंतराल में उनके माता-पिता की अलग-अलग कारणों से मृत्यु हो गई।
पिता के निधन के बाद मिकी ने बहरीन में उनकी बेबी प्रोडक्ट्स की शॉप को फिर से शुरू किया। 1973 में उन्होंने पांच हजार स्क्वायर फीट का स्टोर खरीदा, जिसका नाम बेबी शॉप रखा। इसमें बच्चों के क्लॉथ्स और प्रोडक्ट्स थे। शुरुआती समय में सारे काम मिकी खुद ही किया करते थे। धीरे-धीरे उनके स्टोर पर तेजी से बिक्री होना शुरू हो गई। फिर उन्होंने अपने बिजनेस को विस्तार देने का निश्चय किया। इस कड़ी में उन्होंने लैंडमार्क ग्रुप को शुरू किया। उन्होंने अपने बिजनेस का विस्तार उन क्षेत्रों में करने पर अधिक ध्यान दिया, जहां वह ज्यादा से ज्यादा कस्टमर बना सकें।
वर्ष 1992 में खाड़ी देशों में हुए युद्ध की वजह से उन्होंने अपना बिजनेस दुबई शिफ्ट कर लिया। फिर उन्होंने अपना बिजनेस विस्तारित करते हुए रिटेल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन, फर्नीचर और होटल समेत कई क्षेत्रों में अपनी पैठ बना ली। उन्होंने साल 2000 में लैंडमार्क इंटरनेशनल फाउंडेशन ऑफ एम्पावरमेंट चैरिटेबल संस्था भी शुरू की। इस तरह उन्होंने एक छोटी-सी शुरुआत को बड़े बिजनेस में बदल दिया।