साइट मैनेजर इन नतीजों के आधार पर काम की गुणवत्ता और प्रगति की तुलना कर कमियों को पहचान सकता है। साथ ही समय रहते इन कमियों को दूर कर सकता है। हालांकि अभी शुरुआत है लेकिन डॉक्सेल की सफलता निर्माण क्षेत्र के लिए काफी आशाएं जगाती है। हाल ही सैन डिएगो में एक निर्माण परियोजना में कंपनी की तकनीक ने बजट को 11 फीसदी तक कम ही नहीं किया बल्कि उत्पादकता में 38 फीसदी की वृद्धि भी की।
फिजूलखर्ची रोकने में कारगर होगी
मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में निर्माण संबंधी सामग्री और परिवहन पर हर साल 7.27 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च आता है। यह दुनिया की जीडीपी के 13 फीसदी के बराबर है। बावजूद इसके दशकों से बड़े पैमाने की 98 फीसदी निर्माण परियोजनाएं अपने तय बजट से औसतन 70 फीसदी ज्यादा महंगी और निर्धारित समय से करीब 20 महीने पीछे चलती हैं। सौरभ की तकनीक इस फिजूलखर्ची को रोक रही हैं।
पिता की परेशानी ने सुझाया आइडिया
सौरभ बताते हैं कि निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले उनके पिता ने अपना बिजनेस करने के उद्देश्य से एक कारखाना बनाने का निर्णय किया। लेकिन ओवर बजट के चलते घर गिरवी रखने तक की नौबत आ गई। तब सौरभ ने अपनी तकनीक का इस्तेमाल कर पिता के लिए कारखाना बनवाया। उन्होंने तय समय और लागत में निर्माण पूरा भी कर लिया। इस अनुभव ने उन्हें निर्माण क्षेत्र में आने वाली ओवर बजटिंग की समस्या को हल करने का आइडिया दिया।
कैसे काम करती है यह प्रणाली
कंपनी अपने स्वचालित उपकरणों के जरिए रात में पूरी साइट को स्कैन करती है। निर्माण स्थल पर बाधाओं को पार करने और ऊपर चढऩे के लिए रोबोट नेविगेशन तकनीक की सहायता से पहले से प्रोग्राम किए गए रास्तों का अनुसरण करता है। रोबोट और ड्रोन इन छवियों को क्लाउड स्टोरेज में भेज देते हैं जहां डॉक्सेल की आर्टिफिशियल इंटलीजेंस तकनीक इन छवियों का अध्ययन कर निर्माण की खामियां परखती हैं। कंपनी की यह प्रणाली कम्प्यूटर विजन सॉफ्टवेयर में मील का पत्थर है। यह निर्माण स्थल पर एक मिलिमीटर हिस्से का भी उन्नत लेजर तकनीक से सटीक थ्रीडी स्कैन तैयार कर सकती है।