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पैदा होते ही मरवाना चाहते थे रिश्तेदार, लेकिन आज ये दिव्यांग युवा ऐसे बना करोड़ों की कम्पनी का मालिक : यहां पढ़ें

locationजयपुरPublished: Jun 06, 2019 08:04:39 am

Submitted by:

Deovrat Singh

Motivational Story

Motivational Story

shrikant bola motivational story in hindi

Motivational Story : जीवन में सफलता के लिए जरुरी नहीं कि आपका परिवार पहले से सक्षम हो और आपके पास भी सभी जरुरी सुविधाएं हो। आज की जनरेशन के पास सफलता के लिए डिमांड्स की बहुत लंबी लिस्ट होती है। देखा जाए तो परिवार की आर्थिक स्थिति को भी दोष दिया जाता है। खुद को कामयाब बनाने लिए मेहनत को प्राथमिकता की बजाय बहाने ढूंढे जाते हैं। लेकिन आज हम जिस शख्स बात बताने जा रहे हैं वो दिव्यांग होते हुए भी देश के टॉप कंपनी होल्डर में शामिल हैं। इस शख्स का नाम श्रीकांत बोला, श्रीकांत बचपन से ही ब्लाइंड हैं, लेकिन 26 साल की उम्र में ही इन्होने 150 करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी कर दी, श्रीकांत कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी बौलेंट इंडस्ट्रीज के CEO हैं। उनकी कंपनी के 7 प्लांट है, जिसमें 1200 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, इनमें से ज्यादातर दिव्यांग हैं। कम्पनी में काम करने वाले कर्मचारियों की भर्ती में दिव्यांग को प्राथमिकता दी जाती है।
श्रीकांत का बचपन
श्रीकांत बोला का बचपन बहुत ही कठिनाइयों भरा रहा। परिवार की मासिक आय 1500 रुपए महीना थी, जो परिवार के खर्च चलाने के लिहाज से काफी कम थी। जब श्रीकांत का जन्म हुआ तो रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उन्हें मार डालने की सलाह दी थी। लेकिन श्रीकांत की किस्मत में कुछ और ही था। श्रीकांत बोलै बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे। पारिवारिक परिस्थितियां अनुकूल न होने के बावजूद भी श्रीकांत ने 10वीं में 90 फीसदी अंकों से पास की, उनकी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुई, वह दसवीं के बाद साइंस से आगे की पढ़ाई करना चाहते थे। लेकिन उनके दिव्यांग होने के कारण, इसकी अनुमति नहीं मिली। लेकिन श्रीकांत ने भी अभी हर नहीं मानी। महीनों की लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार श्रीकांत को साइंस लेने की इजाजत मिल ही गई। श्रीकांत को अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करते 2009 में IIT के दाखिले के लिए भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। आखिर कार अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान में एडमिशन मिल ही गया।

कंपनी की शुरुआत
मेरिका के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद श्रीकांत ने हैदराबाद में अपनी कंपनी की नींव रखी। श्रीकांत ने लोगों के खाने-पीने के समान की पैकिंग के लिए कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी बनाई। श्रीकांत ने कंपनी की शुरुआत 8 लोगों की एक टीम से की।उन्होंने इस कंपनी में पहले आस-पास के बेरोजगार युवाओं को जोड़ा। जिसमें श्रीकांत ने ब्लाइंड लोगों को प्राथमिकता के आधार पर काम दिया। जब श्रीकांत की कंपनी ने रफ्तार पकड़ी लगी तो फंडिंग की दिक्कत का सामना हुआ। ऐसे में श्रीकांत ने फंडिंग कंपनियों और निजी बैंकों से फंड जुटाकर काम को बढ़ाना शुरू किया।आज श्रीकांत की कंपनी के तेलंगाना और हैदराबाद में 7 प्लांट है, उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 150 करोड़ से ऊपर तक पहुँच गया है।
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