दूसरे कॉलेज की फैकल्टी भी हो सकेंगी हिस्सा
पूर्णिमा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के डॉ. योगेश कुमार ने बताया कि AICTE ने यूनिवर्सिटी और टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस को इसे लेकर नियम बनाने के लिए कहा है। टीचर्स स्टार्टअप में ओनर, डायरेक्ट प्रमोटर, कन्सल्टेंट या बोर्ड मेंबर्स के रूप में शामिल हो सकेंगे। वहीं अपने स्टार्टअप में कॉलेज के फैकल्टी मेंबर्स और स्टूडेंट्स, कॉलेज एल्युमिनाई के साथ ही दूसरे कॉलेज की फैकल्टी को भी स्टार्टअप का हिस्सा बनाया जा सकेगा।
ह्यूमन सब्जेक्ट पर एथिक्स कमेटी की क्लीयरेंस जरूरी
डॉ. योगेश ने बताया कि जो कॉलेज स्टाफ स्टार्टअप का हिस्सा नहीं है, उन्हें किसी तरह की ड्यूटी असाइन नहीं की जा सकेगी। साथ ही स्टार्टअप से ओनर, डायरेक्ट प्रमोटर, कन्सल्टेंट या बोर्ड मेंबर्स को किसी तरह का गिफ्ट भी नहीं दिया जा सकेगा। वहीं ह्यूमन रिलेटेड सब्जेक्ट पर रिसर्च के लिए कॉलेज की एथिक्स कमेटी की क्लीयरेंस जरूरी होगी।
टीचिंग-रिसर्च जैसे रुटीन वर्क ही होंगे प्रायोरिटी
जेईसीआरसी इंजीनियरिंग कॉलेज के मनीष जैन ने बताया कि कॉलेज में चल रहे रिसर्च पर फैकल्टी की ओर से स्टार्टअप शुरू नहीं किया जा सकता है। वहीं फैकल्टी के रूटीन काम इससे डिस्टर्ब नहीं होने चाहिए। प्रायोरिटी टीचिंग और रिसर्च वर्क जैसे रूटीन काम ही रहेंगे। वहीं स्टार्टअप पर काम के लिए फैकल्टी को सेमेस्टर ब्रेक भी मिल सकेगा। हाल ही में एआइसीटीई ने स्टूडेंट्स के लिए स्टार्टअप को लेकर सर्कुलर जारी किया था। इस कदम से रिसर्च और इनोवेशन को बल मिलेगा।