कमानी ट्यूब्स कंपनी की चेयरपर्सन कल्पना सरोज की कहानी उन लोगों के लिए बहुत प्रेरणादायक है, जो थोड़ी सी ही मुश्किलों के बाद हथियार डाल देते हैं। कल्पना को जन्म से ही अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बाल-विवाह का दंश झेलना पड़ा और उसके बाद ससुराल वालों का अत्याचार सहना पड़ा। एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने खुद को खत्म करने के लिए जहर भी पी लिया। लेकिन फिर इन सबसे उबरते हुए मजबूत इरादों के साथ अपनी जिंदगी को एक ऐसा मोड़ दिया कि आज उनकी गिनती सफल एंटरप्रेन्योर्स में होती है।
जब कल्पना 12 साल की थी और सातवीं में पढ़ती थी तो उनकी शादी उनसे कहीं अधिक आयु के व्यक्ति से हो गई। शादी के बाद वह मुंबई की स्लम्स में पति के घर आ गई। ससुराल में उन्हें काफी यातनाएं सहनी पड़ी। जब छह महीने बाद उनके पिता उनसे मिलने आए तो कल्पना की हालत देखकर उन्हें वापस गांव लेकर चले गए। गांव आकर उन्हें समाज के लोगों के ताने सहने पड़े। ऐसे में उन्होंने एक बार खुदकुशी का भी प्रयास किया।
इस घटना के बाद उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी। वह 16 साल की उम्र में चाचा के पास मुंबई आ गईं। यहां वह गारमेंट फैक्ट्री में काम करने लगी, जिसके उन्हें दो रुपए रोज के मिलते थे। फिर कल्पना ने अपनी जिंदगी से गरीबी को मिटाने का फैसला किया और अपने छोटे से घर में सिलाई मशीनें लगा ली व 16-16 घंटे काम करने लगी। फिर उन्होंने 50 हजार रुपए का लोन लिया और 22 साल की उम्र में फर्नीचर का बिजनेस शुरू कर दिया।
1960 में स्थापित कंपनी कमानी ट्यूब्स का मालिकाना हक एक फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने वर्कर्स को दे दिया था, पर कंपनी पर कर्ज बढ़ता जा रहा था। ऐसे में साल 2000 में वर्कर्स कल्पना के पास आए। शुरू में तो उन्होंने 116 करोड़ के कर्ज में डूबी कंपनी के लिए ना-नुकुर की, लेकिन बाद में वह इसे संचालित करने के लिए मान गई। 2006 में कोर्ट ने उन्हें कमानी ट्यूब्स का मालिक बना दिया। आज कंपनी का अरबों का टर्नओवर है। वर्ष 2013 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कमला सरोज को पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा था।