scriptटीनएज में ही बच्चों को पढ़ाएं मनी मैनेजमेंट का पाठ | Teach money management to your kids in teenage | Patrika News

टीनएज में ही बच्चों को पढ़ाएं मनी मैनेजमेंट का पाठ

Published: Apr 16, 2018 04:57:51 pm

टीनएज की दहलीज पर कदम रखते ही एक बच्चे से जिम्मेदार बनने की उम्मीद काफी बढ़ जाती है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक जिम्मेदारी को समझा जाता है

Money management

Money management

टीनएज की दहलीज पर कदम रखते ही एक बच्चे से जिम्मेदार बनने की उम्मीद काफी बढ़ जाती है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक जिम्मेदारी को समझा जाता है। ऐसे में अगर आप चाहती हैं कि आपका बच्चा भावी जीवन में आर्थिक परेशानियों का सामना न करे तो उसे यह स्किल आज से ही सिखाना शुरू करें।
अ क्सर ही पेरेंट्स अपने टीनएजर बच्चों को आर्थिक मामलों में लापरवाह होने का दोष देते देखे जा सकते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी वजह क्या है? जी हां, बच्चे ऐसे इसलिए हैं क्योंकि उन्हें कभी इससे जुड़ी जरूरी स्किल्स सिखाई ही नहीं गईं। तो अगर आप चाहती हैं कि आपका टीनएजर बच्चा फाइनेंशियल मामलों में जिम्मेदार बने तो उसे सिखाने की पहल आपको करनी होगी। अगर इसके लिए आपको कड़ाई बरतने की भी जरूरत पड़े तो इससे गुरेज न करें। यकीन मानिए आगे चलकर अपनी आर्थिक समझ के लिए बच्चा आपका शुक्रिया अदा जरूर करेगा।
क्रेडिट कार्ड दें

किशोर उम्र में बच्चे को कम लिमिट का क्रेडिट कार्ड देकर उन्हें जिम्मेदार बनाने की शुरुआत की जा सकती है। बहुत से पेरेंट्स बच्चों को क्रेडिट कार्ड देने से डरते हैं लेकिन यह उन्हें आर्थिक रूप से जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक बेहतरीन कदम साबित होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज नहीं तो कल वे इनका उपयोग करेंगे ही तो क्यों न उन्हें इसका बेहतर उपयोग करने की सीख आज ही देने की कोशिश की जाए। दूसरा यह कि इसके जरिए आप अपने बच्चे के खर्च पर नजर भी रख पाएंगी।
ब्रांडेड वस्तुओं से दूर रखें

बच्चों को नामचीन ब्रांड की बजाए जेनरिक ब्रांड से पहचान करवाएं। आजकल युवाओं में ब्रांडेड वस्तुओं को लेकर एक आकर्षण देखा जा सकता है। उन्हें समझाएं कि इन ब्रांड्स की क्वालिटी जेनरिक ब्रांड्स के समान होने पर भी ये महंगे मिलते हैं। अगर आपका टीनएजर बच्चा अपने जेबखर्च से ब्रांडेड जींस, जूते, स्पोट्र्सवियर आदि खरीदना चाहे तो उसे रोकिए मत लेकिन अगर खर्च आप उठा रही हों तो इसकी इजाजत न दें, भले ही वह उपहार ही क्यों न हो।
खर्च खुद उठाने दें

तोहफों और रोजाना की जरूरतों के अलावा बच्चे को जिस चीज की जरूरत हो, उसका खर्च उसे खुद उठाने दीजिए। इसके लिए उन्हें अपने जेबखर्च का इस्तेमाल करने के लिए कहें। खरीदे गए सामान और उसकी कीमत के बीच का संबंध समझाने के लिए इससे अच्छा तरीका और कोई नहीं हो सकता। ज्यादातर मामलों में अभिभावक अपने बच्चों को वे सभी वस्तुएं मुहैया करवाकर बिगाड़ देते हैं, जिन्हें बच्चे खुद नहीं खरीद सकते। बच्चों को यह अहसास होना चाहिए।
बजट बनाने को कहें

कभी न कभी हम में से हरेक को बजट बनाने और उसका पालन करने की जरूरत पड़ती ही है। जो तय बजट के अनुसार नहीं चलते अक्सर ज्यादा खर्च कर बैठते हैं। इसी के मद्देनजर अपने बच्चे को बजट बनाना और उसकी पालना करना सिखाएं। ऐसा न सोचें कि बाद में वह खुद ही सीख जाएगा क्योंकि युवाओं में यह आदत अपने आप विकसित होना मुश्किल है।
बैंक खाता खुलवाएं

बहुत से किशोर यह धारणा बना लेते हैं कि धन किसी रहस्यमयी जादुई कुएं से आता है जिसकी चिंता करने की जरूरत उन्हें नहीं है। वे मान लेते हैं कि यह चिंता उनके आस-पास के वयस्कों का जिम्मा है। उन्हें चिंता सिर्फ अपनी इच्छाओं को पूरी करने और उनका मजा उठाने की करनी चाहिए। ऐसे में बच्चे का बैंक खाता खुलवाकर उसमें आने और जाने वाली हर पाई का हिसाब रखने के लिए मजबूर करके आप बच्चे को उस जादुई कुएं से परिचित करवा सकती हैं।
जैसा व्यवहार, वैसा जेब खर्च

बच्चे का व्यवहार अच्छा है या बुरा उसी के हिसाब से उसका जेबखर्च घटा या बढ़ा सकती हैं। यदि वह आपकी बात नियमित रूप से मानता है तो उसका जेबखर्च बढ़ा दें और इसके ठीक उलट होने पर यानी बुरा व्यवहार करने पर इसे घटा दें। टीनएजर को जेबखर्च जरूर दें भले ही राशि कम रखें। बस उसे यह बता दें कि यह उसके अच्छे या बुरे बर्ताव को पुरस्कृत करने या दंडित करने के तरीकों में से एक है।
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