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शिक्षा की गुणवत्ता में अंतर को पाटने में मददगार है प्रौद्योगिकी : राष्ट्रपति

Published: Jul 10, 2017 11:39:00 am

उन्होंने कहा, डिजिटल माध्यम सस्ता, सहज और संवादपरक होता है तथा विद्यार्थियों को अपनी गति से सीखने की सुविधा प्रदान करता है

Pranab Mukherjee

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि प्रौद्योगिकी, दूरसंचार व इंटरनेट के प्रसार ने शिक्षा की गुणवत्ता के अंतर को कम करने में पुल का काम किया है। राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी अच्छे शिक्षकों को बड़ी संख्या में कक्षा में शारीरिक तौर पर मौजूद न रहने वाले छात्रों को शिक्षा देने में समर्थ बनाती है। इस वजह से हमें दोनों हाथों से इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

उन्होंने कहा, डिजिटल माध्यम सस्ता, सहज और संवादपरक होता है तथा विद्यार्थियों को अपनी गति से सीखने की सुविधा प्रदान करता है। हमें यह मिलकर सुनिश्चित करना होगा कि इसे व्यापक रूप से शिक्षा देने के लिए अपनाया जाए।

मुखर्जी ने यहां विज्ञान भवन में ऑनलाइन पाठ्यक्रम की पेशकश करने वाले ‘स्वयम’ पोर्टल व पाठ्यक्रम सामग्री का देने वाले ‘स्वयम प्रभा’ के डायरेक्ट-टू -होम 32 चैनलों का शुभारंभ किया। इसके अलावा राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय अकादमिक संग्रहकर्ता (एनएडी) का भी उद्घाटन किया, जो प्रमाण पत्रों का ऑनलाइन सत्यापन करेगा।


स्कूल में मिलेगी बच्चों को ऐसी शिक्षा
छिंदवाड़ा . प्राथमिक-माध्यमिक स्कूल अंतर्गत कक्षा तीसरी, पांचवीं तथा आठवीं के बच्चों को विभिन्न विषयों में दक्ष बनाने के प्रयास किए जाएंगे। राज्य शिक्षा केंद्र ने इस संदर्भ में दक्षता आधारित प्रश्नों का अभ्यास कराने के निर्देश जारी किए हैं। इसमें बेसलाइन टेस्ट के परिणामों के आधार पर बच्चों की मूलभूत दक्षताओं में कक्षानुरूप उन्नयन के लिए 1 से 31 जुलाई की अवधि में प्रतिदिन एक-एक कालखंड में हिंदी-अंग्रेजी पढऩा, गणित संख्या पहचान तथा गणितीय संक्रियाएं की विशेष कक्षाएं आयोजित की जाएंगी।

बताया जाता है कि गतवर्ष प्रतिभा पर्व में कक्षा तीसरी, पांचवीं तथा आठवीं के प्रश्न-पत्र में राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे के पैटर्न में दक्षता आधारित प्रश्न रखे गए थे। इस प्रकार के प्रश्नों को हल करने का अभ्यास न होने से बच्चों में प्रश्नों की ठीक समझ नहीं होने से हल करने में दिक्कत आई थी। इसी समस्या को देखते हुए विभाग ने कार्यक्रम संचालित करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही शिक्षकों को इस प्रकार के प्रश्नों को शिक्षण प्रक्रिया में शामिल करने की बात कही गई है।


इन बातों का रखना होगा ध्यान


1. राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे सम्बंधी प्रश्नों के अभ्यास प्रक्रिया के सम्बंध में विकासखंडस्तर पर बीआरसी द्वारा समस्त प्रधानाध्यापकों की एक बैठक 10 जुलाई तक आयोजित किया जाना तथा प्रत्येक शाला के प्रधानाध्यापक को सेम्पल प्रश्न की प्रति उपलब्ध कराना।


2. राज्य द्वारा उपलब्ध कराए गए सेम्पल प्रश्नों व इसी प्रकार के अन्य प्रश्नों का शिक्षण प्रक्रिया के साथ-साथ बच्चों को निरंतर विषयवार अभ्यास कराया जाना।


3. प्रत्येक सप्ताह बाल सभा के दिन अभ्यास दो भागों में कराया जाना। इसके अंतर्गत प्रथम भाग में सेम्पल प्रश्न एवं उसी प्रकृति के अन्य प्रश्न शिक्षकों द्वारा स्वयं तैयार करके बच्चों से अभ्यास कराना तथा द्वितीय भाग में बाल सभा की गतिविधियों के साथ-साथ दक्षता आधारित प्रश्नों पर आधारित क्विज कराना।
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