scriptवर्कप्लेस पर अच्छे संबंध बनाने के लिए जरूरी है कि आप अनकही बातों को समझें | To make good relations at workplace, understand untold things | Patrika News

वर्कप्लेस पर अच्छे संबंध बनाने के लिए जरूरी है कि आप अनकही बातों को समझें

locationजयपुरPublished: Mar 27, 2019 07:02:20 pm

कम्यूनिकेशन कोचेज का कहना है कि इंसान के सारे संवादों का 93 फीसदी नॉन-वर्बल होता है, सिर्फ 7 संवाद शब्दों के माध्यम से किया जाता है।

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कम्यूनिकेशन कोचेज का कहना है कि इंसान के सारे संवादों का 93 फीसदी नॉन-वर्बल होता है, सिर्फ 7 संवाद शब्दों के माध्यम से किया जाता है। हो सकता है कि यह बात पूरी तरह से सच न हो, पर यह तो आपने भी गौर किया होगा कि ऑफिस में कई बार बिना कुछ कहे ही कई तरह की जानकारियां ली और दी जाती हैं। आपको इस नॉन-वर्बल लैंग्वेज को सीखने का प्रयास करना चाहिए। इससे संबंधों में सुधार होता है और वर्कप्लेस पर आपका प्रभाव बढ़ता है। जानते हैं कि आप खुद को ट्रेंड कैसे करें, ताकि दूसरों को सही नॉन-वर्बल मैसेज दे सकें और दूसरों के संदेशों को समझ सकें।

साउंड एंड साइलेंस
वर्बल कम्यूनिकेशन में साउंड और साइलेंस का काफी महत्व होता है। इसमें टोन, पिच, पॉज और ऑडियबल फिलर शामिल होते हैं। अपनी टोन को कंट्रोल करके ऑडियंस तक इमोशन्स की विस्तृत रेंज पहुंचा सकते हैं। इसी तरह कई बार हाई पिच की आवाज में कही गई बात का महत्व कम हो जाता है। कम्यूनिकेशन में पर्याप्त पॉज होने पर कही गई बातों पर गौर किया जाएगा। बोलते समय तकियाकलाम या फिलर्स जैसे- अरे, वो, यूं, जैसे आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे संदेश जाता है कि आप मेच्योर नहीं हैं। कम्यूनिकेशन के दौरान लंबा साइलेंस एक प्रभावी टूल बन सकता है।

ये करें
मजबूती से हाथ मिलाएं। इससे संदेश जाता है कि आप कॉन्फिडेंट हैं।
आई कॉन्टैक्ट रखें। इससे आप विश्वसनीय नजर आते हैं।
अच्छा पहनावा रखें। इससे प्रोफेशनलिज्म और शुद्धता जाहिर होती है।
सीधे बैठें। इससे आपकी हाई एनर्जी दिखती है और आउटपुट सुधरता है।
आगे झुकें। इससे पता लगता है कि आप लोगों में रुचि ले रहे हैं।

संकेतों को समझें
हर इंसान नॉन-वर्बल कम्यूनिकेशन में एक्सपर्ट है। कई बार सामाजिक परिस्थितियों में आपका सब-कॉन्शियस माइंड पता लगा लेता है कि आपको कौन पसंद करता है और कौन नहीं। इसके अलावा आप यह भी जान जाते हैं कि माहौल सुरक्षित है या नहीं। कई बार जब हमें कोई छूता है तो हमें उसकी फीलिंग्स के बारे में जानकारी मिल जाती है। कोई सिंगल मैसेज निर्णायक नहीं माना जा सकता, फिर वो चाहे वर्बल हो या नॉन-वर्बल। नॉन-वर्बल मूड को बेहतर तरीके से समझने के लिए पहले आपको संदर्भ का पता करना होगा। हो सकता है कि कोई कलीग आपकी पीठ पर थपकी दे। आप इसे चेतावनी समझ सकते हैं या बधाई के तौर पर भी ले सकते हैं। यह सब परिस्थिति, इंटर-पर्सनल हिस्ट्री और कल्चर पर निर्भर करता है। इस तरह देखा जाए तो सिर्फ ऊंची आवाज में बोलने से सिग्नल जाता है कि आप डरे हुए हैं। लेकिन अगर आप सही पोश्चर में रिलेक्स टोन और मजबूत हैंडशेक के साथ ऊंची आवाज में कुछ बोलते हैं तो इससे सबको टीम लीडर का कॉन्फिडेंस नजर आता है।

ये न करें
हाथों को बांधकर खड़े न हों। इससे संदेश जाता है कि आप सहयोग नहीं करेंगे।
स्पेस को बिखरा हुआ न रखें। इससे पता लगता है कि आप उलझन में रहते हैं।
चंचल या व्याकुल न हों। इससे नर्वसनेस जाहिर होती है।
चिल्लाने से बचें। इससे लोगों को लगेगा कि आप एक जटिल इंसान हैं।
उंगली से इशारे न करें। यह असभ्यता और खराब लीडर की निशानी है।

बॉडी लैंग्वेज
बॉडी लैंग्वेज में आपका चेहरा, आंखें, हाथ, पोश्चर, मूवमेंट और छुअन शामिल है। आमतौर पर हम चेहरे और आंखों में देखकर सात बेसिक इमोशन्स- क्रोध, भय, घृणा, अवमानना, खुशी, उदासी और आश्चर्य को समझने की कोशिश करते हैं। वर्कप्लेस पर ज्यादातर लोग कम्यूनिकेशन करते समय खुद के इमोशन्स को छुपाना सीख जाते हैं। फिर भी आंखों का मूवमेंट और चेहरे के भाव हर सच्चाई को पेश कर देते हैं। कामकाजी जीवन में अपने चेहरे के भावों पर नियंत्रण के अलावा आप अपनी टीम के साथ सेल्स टारगेट पूरा करने पर खुशी का इजहार कर सकते हैं। क्लाइंट के साथ नेगोसिएशन के दौरान आप न्यूट्रल रह सकते हैं। फेस टू फेस कस्टमर सर्विस में आप चेहरे पर मुस्कान रख सकते हैं। वर्कप्लेस पर मुस्कान और आई कॉन्टैक्ट से आप न्यूकमर्स के साथ बेहतर बॉन्डिंग बना सकते हैं। आपके हाथों के मूवमेंट और पोश्चर से काफी कुछ प्रकट होता है। मैनेजर के तौर पर टीम को समझाते हुए आपको हड़बड़ी नहीं दिखानी चाहिए।

स्पेस
इसमें वर्कप्लेस पर पर्सनल स्पेस और माहौल शामिल है। पर्सनल स्पेस में हर व्यक्ति एक ऐसे एयर बबल में काम करता है, जहां वह बेहिचक इशारे और संवाद कर सकता है। अगर आप किसी अन्य व्यक्ति के बबल में घुसते हैं तो इससे या तो अंतरंगता या फिर आक्रामकता के संकेत मिलने लगते हैं। इस स्पेस में जाने पर खुद को और सामने वाले के पोश्चर को ध्यान से देखना चाहिए। वर्क टेबल और केबिन पूरी तरह से आपके अधीन हैं। इनके सही इस्तेमाल से दूसरों तक सही सिग्नल भेज सकते हैं। आप आसानी से तय कर सकते हैं कि किसी केबिन डरावना लगता है और किसका बिखरा हुआ। आपकी लोगों के बारे में कितनी समझ है, इसे संकेतों के आधार पर जांचने की कोशिश करें।

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