हममें से कोई भी संपूर्ण नहीं है लेकिन सभी की यह कोशिश होती है कि हम बेतरतीब से दिखाई देने वाले जीवन को करीने से जीने की कोशिश करें। अपने तौर पर मैंने सीखा है कि अगर आप कोई काम कर ही रहे हैं तो तसल्ली के साथ यह सोचें कि इसे कैसे बेहतर तरीके से किया जा सकता है, इसमें कोई बुराई नहीं है बल्कि इससे आप अपने काम को और काम के दौरान मिल रहे अनुभवों को पुख्ता ही करते हैं। कोई बड़ी कामयाबी, वास्तव में छोटी-छोटी सफलताओं की एक शृंखला है।
किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए खुद पर भरोसा होना जरूरी है, वहीं से आपको आखिरी समय तक डटे रहने की हिमत मिलती है। अंतत: काम में आपको ही उतरना होता है और उसके परिणाम भी आपको ही भुगतने होते हैं। बाहर से दिलासा मिलता है, भीतर से हौसला। इसलिए अगर आपने कोई काम किया है तो उसके नतीजों के लिए उत्तरदायी बनना सबसे अच्छी बात है, यहीं से अच्छा काम करने की जिम्मेदारी और उत्साह पैदा होता है और आप दूसरों को दोष देना छोड़ देते हैं।आज ही तय करता है कल मुझे लगता है कि हम में से हर कोई एक बेहतर जीवन की कामना करता है, लेकिन हममे में से कितने हैं जो जीवन को अपना बेहतर देते भी हैं? हम अपने दिन कैसे बिता रहे हैं, यह सचमुच इस बात का परिचायक है कि हम अपनी जिंदगी कैसे बिता रहे हैं। ऐसे में अगर सुधार करना है तो रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव से शुरुआत कीजिए।
-अमित पुरोहित