ऐसा वे किसी शौक या Record के लिए नहीं बल्कि 2003 में सडक़ दुर्घटना में पति की मौत के बाद अपने दो बच्चों को पालने के लिए करती हैं। मध्यप्रदेश के भोपाल शहर की रहने वाली योगिता 15 सालों से ट्रक ड्राइवर का काम कर रही हैं। योगिता का कहना है कि ट्रक चलाना उनके लिए कोई चुनौती नहीं है न ही इस बात की फिक्र की दूसरे लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं।
योगिता के पति एडवोकेट थे जो एक ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाते थे। सडक़ दुर्घटना में पति के निधन के बाद उन्होंने अपने तीन ट्रकों के लिए ड्राइवर और हेल्पर भी रखे। लेकिन उनका ड्राइवर एक दुर्घटना में ट्रक को हैदराबाद में लावारिस छोडक़र भाग गया। फिर उन्होंने खुद ही ट्रक चलाने का फैसला किया। कभी वकील रह चुकी योगिता को इस पेशे से ज्यादा आय नहीं हो रही थी।
उन्होंने एक बुटीक में काम करना शुरू किया लेकिन इससे भी आय में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। ऐसे में दो बच्चों की परवरिश को देखते हुए उन्होंने खुद भी ट्रक चलाने का निर्णय किया। बकौल योगिता ट्रक ड्राइवर बनना आसान काम नहीं था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। रात भर ट्रक चलाना, माल लादना, महिला होने के नाते नहाने की सुविधा न होना और सुरक्षा ने भी उनके हौसले पस्त नहीं होने दिया।