उन्होंने बताया कि इस उम्र में भी वह पैदल अन्य व्यक्तियों की तरह चल फिर सकते है, किसी भी कार्य को करने में उनके हाथ कंपकपाते नहीं है। उनका कहना है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में स्वस्थ रहने के लिए कुछ नियम बनाना जरूरी है। मेरी सेहत का राज भी वहीं है। में अपने जीवन में कुछ नियम बनाए है। उन्होंने कहा कि वे अधिक से अधिक पैदल चलना, भोजन करने के लिए सिर्फ अपने ही पात्र का उपयोग करना, अपने ही विस्तर पर सोना, एक समय भोजन करना, नित्य क्रिया के बाद अपने आपका शुद्धिकरण करना, मदिरा, तंबाकू समेत अन्य नशे का सेवन पूरे जीवन काल में ना करना समेत अन्य नियम की बदौलत में आज तक पूरी तरह स्वस्थ हूं। इसके साथ ही गाय के दूध का सेवन किया है।
महात्मा श्रीकृष्ण दास ने बताया कि मां नर्मदा के किनारे स्थित मार्केन्डेय आश्रम अद्भूत है। यहां शोरगुल से दूर एकांत है। यहां साधना, भजन र्कीतन करने में आनंद आता है। हमारे चर्तुमास के दौरान हमने यहां अखंड धुनी और ज्योत प्रज्जवलित की है। प्रतिमाह की पूर्णिमा और अमावस्या को यहां कन्या भोजन करा रहे है। नर्मदा परिक्रमा से पूर्व इन्होंने अधिकांश तीर्थो की यात्रा भी कर चुके है। नर्मदा परिक्रमा को लेकर उनका कहना है कि यदि वास्तव में हम मां रेवा का सम्मान करते हैं तो वह तभी पूर्ण मानी जाएगी। परिक्रमा के दौरान तन की शुद्धि के साथ हमेशा मन शुद्ध रहना चाहिए।