scriptकुनबा बढ़ाने कान्हा से सतपुड़ा पहुंचे 13 बारहसिंगा, बारहसिंगा को लेकर चर्चित है कान्हा नेशनल पार्क | 13 reindeer reached Satpura from Kanha to increase the family | Patrika News

कुनबा बढ़ाने कान्हा से सतपुड़ा पहुंचे 13 बारहसिंगा, बारहसिंगा को लेकर चर्चित है कान्हा नेशनल पार्क

locationमंडलाPublished: Feb 16, 2020 08:26:56 pm

Submitted by:

shubham singh

इसमें 11 मादा और 2 नर शामिल हैं

13 reindeer reached Satpura from Kanha to increase the family

कुनबा बढ़ाने कान्हा से सतपुड़ा पहुंचे 13 बारहसिंगा, बारहसिंगा को लेकर चर्चित है कान्हा नेशनल पार्क

मंडला। कान्हा नेशनल पार्क के बारहसिंगा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में चहलकदमी करेंगे। मंडला कान्हा नेशनल पार्क से 13 बारहसिंगा को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व होशंगाबाद में सुरक्षित तरीके से शिफ्टिंग किया है। रविवार को कान्हा स्थित बारहसिंगा बाड़े से 13 बारहसिंगा कैप्चर कर सतपुड़ा टायगर रिजर्व, होशंगाबाद की ओर रवाना किया गया। इसमें 11 मादा और 2 नर शामिल हैं। पूरे कैप्चर प्रक्रिया का नेतृत्व कान्हा के क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति द्वारा किया गया। कैप्चर ऑपरेशन के दौरान कान्हा टायगर रिजर्व एवं सतपुड़ा टायगर रिजर्व के अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा वन्यप्राणी विशेषज्ञ भी शामिल रहे। राज्य पशु बारहसिंगा को सतपुड़ा टायगर रिजर्व ट्रंासलोकेशन के लिए भारत सरकार एवं मप्र शासन द्वारा अनुमति दी गई थी। शनिवार को अधिकारियों तथा विषय विशेषज्ञों द्वारा बारहसिंगा कैप्चर के लिए विशेष रूप से बनाए बोमा का निरीक्षण किया गया एवं बारहसिंगा कैप्चर की रणनीति तैयार की गई। इसके पूर्व भी 33 बारहसिंगा को सतपुड़ा टायगर रिजर्व शिफ्ट किए जा चुके है। बारहसिंगा को विशेष वाहन में सतपुड़ा टायगर रिजर्व की ओर वन्यप्राणी चिकित्सक एवं उनकी टीम की देख-रेख में रवाना किया गया।


देश में कान्हा एकलौता, खुद को बनाया भूमि के अनुकूल
मध्यप्रदेश का राज्य पशु बारहसिंघा का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है। बारहसिंगा हिरण की एक प्रजाति है और बारहसिंघा की मुख्यत दो उप-प्रजातियां हैं। इनमें से एक प्रजाति हिमालय के तराई क्षेत्रों से लेकर हरिद्वार और काजीरंगा पूर्वोत्तर में पाई जाती है। जबकि दूसरी प्रजाति पूरे देश में सिर्फ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद है। जिसका अंग्रेजी नाम स्वैम डियर है, जो नाम के अनुरूप दलदली इलाकों में पाया जाया वाने वाला हिरण है, लेकिन अब कान्हा के दूर-दूर तक दलदली इलाके समाप्त हो गए हैं और कान्हा में मौजूद इन बारहसिंगा ने खुद को सख्त जमीन पर रहने के लिए अनुकूल बना लिया है। जिसके चलते इनके पैरों के खुर एकदम कठोर हो गए हैं, इसलिए अब इनका नाम हार्डग्राउंड बारहसिंघा पड़ गया है।
अस्तित्व पर संकट न हो, इसलिए बढ़ा रहे कुनबा
गौरतलब है कि पूरे देश में बारहसिंघा की यह प्रजाति सिर्फ कान्हा में पाई जाती है। कान्हा में इस प्रजाति पर कोई बीमारी या आपदा उत्पन्न हो गई तो इस प्रजाति के अस्तित्व संकट खड़ा हो जाएगा। जिसके चलते पार्क प्रबंधन बारहसिंगा को अन्य पार्कों में शिफ्ट करने का एक अभियान चला रहा है।
बचे थे 66 बारहसिंगा, अब 800 से ज्यादा
कान्हा टाइगर रिजर्व के संचालक एल कृष्णमूर्ति की मानें तो सत्तर के दशक में सिर्फ 66 बारहसिंगा कान्हा में बच गए थे। पार्क प्रबंधन के बेहतर संरक्षण के चलते अब इनकी संख्या करीब 800 तक हो गई है

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