देश में कान्हा एकलौता, खुद को बनाया भूमि के अनुकूल
मध्यप्रदेश का राज्य पशु बारहसिंघा का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है। बारहसिंगा हिरण की एक प्रजाति है और बारहसिंघा की मुख्यत दो उप-प्रजातियां हैं। इनमें से एक प्रजाति हिमालय के तराई क्षेत्रों से लेकर हरिद्वार और काजीरंगा पूर्वोत्तर में पाई जाती है। जबकि दूसरी प्रजाति पूरे देश में सिर्फ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद है। जिसका अंग्रेजी नाम स्वैम डियर है, जो नाम के अनुरूप दलदली इलाकों में पाया जाया वाने वाला हिरण है, लेकिन अब कान्हा के दूर-दूर तक दलदली इलाके समाप्त हो गए हैं और कान्हा में मौजूद इन बारहसिंगा ने खुद को सख्त जमीन पर रहने के लिए अनुकूल बना लिया है। जिसके चलते इनके पैरों के खुर एकदम कठोर हो गए हैं, इसलिए अब इनका नाम हार्डग्राउंड बारहसिंघा पड़ गया है।
अस्तित्व पर संकट न हो, इसलिए बढ़ा रहे कुनबा
गौरतलब है कि पूरे देश में बारहसिंघा की यह प्रजाति सिर्फ कान्हा में पाई जाती है। कान्हा में इस प्रजाति पर कोई बीमारी या आपदा उत्पन्न हो गई तो इस प्रजाति के अस्तित्व संकट खड़ा हो जाएगा। जिसके चलते पार्क प्रबंधन बारहसिंगा को अन्य पार्कों में शिफ्ट करने का एक अभियान चला रहा है।
बचे थे 66 बारहसिंगा, अब 800 से ज्यादा
कान्हा टाइगर रिजर्व के संचालक एल कृष्णमूर्ति की मानें तो सत्तर के दशक में सिर्फ 66 बारहसिंगा कान्हा में बच गए थे। पार्क प्रबंधन के बेहतर संरक्षण के चलते अब इनकी संख्या करीब 800 तक हो गई है