मंडलाPublished: Apr 22, 2019 11:13:21 am
Mangal Singh Thakur
नारायणगंज में शिक्षा व्यवस्था फिर भी ठप्प
25 साल पांच चुनाव में वादों की बाढ़
नारायणगंज. नारायणगंज ब्लॉक शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ है। हायर सेंकडरी तक की पढ़ाई के बाद बहुत से छात्र-छात्राएं पढ़ाई छोड़ रहे है। कुछ छात्रों को मजबूरी बस प्राइवेट परीक्षा देकर कॉलेज की पढ़ाई करनी पड़ रही है। बताया गया कि नारायणगंज में वर्षों से कॉलेज की मांग की जा रही है। लेकिन उक्त मांग पर सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। नारायणगंज से बड़े शहर जबलपुर की दूरी 60 किलोमीटर और जिला मुख्यालय मंडला की दूरी 50 किलोमीटर है। विकासखंड में 49 ग्राम पंचायत और लगभग 132 गांव हैं। भगोलिक स्थिति की अगर बात की जाए तो ग्रामीण अंचलों के लोगों को मुख्यालय नारायणगंज पहुंचने में 35 से 40 किलोमीटर तक का गंतव्य तय करना पड़ता है। ऊपर से संसाधनों की कमी अलग झेलनी पड़ती है। ऐसे हालातों में विकास खंड मुख्यालय में महाविद्यालय ना होने से 12वी के आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादातर विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई छोडऩा तक पड़ रहा है। महाविद्यालय यहां के लिए लंबे समय से जनमांग बना हुआ है। विगत दिनों संयुक्त मोर्चा व विपक्ष द्वारा भी धरना प्रदर्शन से लेकर आमरण अनशन जैसे आंदोलन तक किया जा चुका है। लेकिन परिणाम अब तक सिफर ही रहे हैं। आमजन का कहना है कि राज्य मे 15 वर्षों से सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी का कब्जा रहा। स्थानीय विकास खंड के सांसद का यहां से लगातार 5 बार चुनाव जीतने व आमजन से वादे करने के बाद भी महत्वपूर्ण मांगों को नजर अंदाज ही किया गया है। आर्थिक रूप से सक्षम तबका अपने बच्चों की आगे की पढ़ाई दूरस्थ शहरों में मोटी रकम खर्च कर करा लेते हैं। वहीं गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों की पढ़ाई मजबूरन रुक जाती है। लोगों का कहना है कि इससे पहले छात्रावासों की सुविधाओं के चलते भी कुछ बच्चों को इसका लाभ मिल ही जाता था। लेकिन शासन द्वारा छात्रावास सुविधा बंद कर देने से शहरों में रहकर पढ़ाई कर पाना अब और मुश्किल हो गया है। वर्तमान डिजिटलाइज युग में 12वीं तक की पढ़ाई का विशेष महत्व भी नहीं रह गया है। जब तक स्नातक या स्नातकोत्तर की डिग्री ना हो नौकरी व अच्छा काम मिलना बड़ा मुश्किल है। इन हालातों में ज्यादातर युवा वर्ग आगे की पढ़ाई ना होने से बेरोजगारी की कगार में खड़ा दिखाई दे रहा है।
स्थानीय स्तर पर महाविद्यालय ना होने से आगे की पढ़ाई करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बीच में छूट रही है। जिसपर ध्यान दिया जाना चाहिए।
तेकेंद्र कुमार मरावी, स्थानीय निवासी
महाविद्यालय ना होने से 12 वीं के बाद आगे की आवश्यक शिक्षा अध्ययन नहीं हो पा रहा है। जिस कारण बड़ी संख्या में युवा बेरोजगारी का शिकार भी हो रहे हैं।
रतन सिंह वरकड़े, स्थानीय निवासी