मंडलाPublished: Jul 11, 2020 08:11:33 pm
Mangal Singh Thakur
पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाने टीकाकरण अभियान भी शुरू
6 गौ शालाएं बन कर तैयार, 100-100 मवेशियों को मिलेगा सहारा
मंडला. कोरोना संक्रमण काल में गौ शाला प्रवासी मजदूरों के साथ किसानों को राहत दिला सकती है। जहां रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे वहीं मवेशियों से फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा। जानकारी के अनुसार जिले में 6 गौशालाएं पूर्णता की ओर है। जिसमें फूलसागर, सिवनीमाल, बिझोरी, दूबा, चाबी (झंडाटोला), एवं चमरवाही शामिल हैं। ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या गांव के अंदर घूमने वाली बेसहारा गायें हैं। इन गायों के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं। इसके कारण गायों और किसानों के बीच संघर्ष की स्थिति बनती है। ऐसे में गौ शाला खुल जाने से किसानों की फसलों की सुरक्षा होगी। साथ ही गायों की भी सुरक्षा होगी। इसके साथ ही सड़कों पर हादसों में भी कमी आएगी। संचालक पशु चिकित्सा सेवायें डॉ एमएल मेहरा ने नगरपालिका, नगर पंचायत एवं ग्राम पंचायत क्षेत्रों में वर्तमान में पाये जाने वाले निराश्रित गौवंशीय पशुओं को अपने क्षेत्र की गौशाला में भेजे जाने की अपील की है ताकि उनका पालन, पोषण एवं रहवास सुविधा पूर्ण हो सके। प्रत्येक गौशाला में 100 निराश्रित पशुधन रखने की क्षमता है। किसान इन निराश्रित पशुओं के लिए स्वेच्छा से भूसा, दाना, चारा, दान दे सकते हैं। निराश्रय गाय योजना पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा निर्माण किया गया है। मनरेगा से भी जोड़ा गया है। इसका संचालन स्थानीय स्तर पर किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी एसडीएम या जिला पंचायत सीइओ के माध्यम से ग्राम पंचायत सचिव व सरपंच को दी जाएगी। जानकारी के अनुसार प्रत्येक गौशाला की क्षमता 100 गायों की रहेगी, जिसे 6 एकड़ जमीन पर तैयार किया जा रहा है। इसमें 1 एकड़ का शेड पशुधन के लिए होगा, जबकि 5 एकड़ पर चरागाह बनाया जाएगा। यहां गौशाला की गायों के लिए चारा उगाया जा सकता है, वहीं इसी भूमि पर एक कक्ष बनाकर उसमें सूखा चारा भी रखा जा सकता है।
बरसात में पशुओं को लगवाएं टीका
डॉ एमएल मेहरा द्वारा जिले के समस्त पशुपालकों से अपील की गई है कि वे अपने गौ-भैंश वंशीय पशुओं में प्रतिबंधात्मक टीकाकरण-घटसर्प (एचएस), चुरका (बीक्यू), तथा मुहंखुर (एफएमडी), तथा बकरियों में पीपीआर अवश्य कराएं ताकि उन्हें अपने क्षेत्र में होने वाले संक्रामक एवं घातक रोगों से बचाया जा सके। बरसात के इस मौसम में अपने पशुओं को सूखे स्थान पर बांधे, तथा पीने के लिए स्वच्छ पानी दें। चरने जाने वाले पशुओं को कीटनाशक छिड़काव वाले स्थानों पर न ले जाएं। किसान यूरिया खाद को अपने पशुओं की पहूंच से दूर सुरक्षित स्थान पर रखें। पशुपालन विभाग द्वारा आपके पशुओं की पहचान के लिए कान में बिल्ले (टेग) लगाने का कार्य भी किया जा रहा है यह पशुओं से संबंधित उपचार, टीकाकरण, के साथ किया जाना आवश्यक है। इस कार्य में पशुपालकों का सहयोग आपेक्षित है। पशुपालकों को घर पहुंच पशु चिकित्सा के लिए जिले के 9 विकास खंडों में चलित पशु चिकित्सा उपलब्ध है। पशुपालक टोल फ्री नम्बर 1962 पर फोन कर उपचार का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए 100 रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है।