script59 वर्षों बाद विशेष संयोग मेें मनेगी महाशिवरात्रि | After 59 years, in a special coincidence Maha Shivratri | Patrika News

59 वर्षों बाद विशेष संयोग मेें मनेगी महाशिवरात्रि

locationमंडलाPublished: Feb 12, 2020 08:41:27 pm

Submitted by:

shubham singh

सिद्धि साधना के लिए विशेष फलीभूत होगा अनुष्ठान

After 59 years, in a special coincidence Maha Shivratri

59 वर्षों बाद विशेष संयोग मेें मनेगी महाशिवरात्रि

मंडला। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार बहुत ही खास होता है। इस बार 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों और पंडितों के अनुसार इस बार की महाशिवरात्रि बेहद विशेष होगी क्योंकि महाशिवरात्रि पर लगभग 59 साल बाद एक विशेष योग बन रहा है जो साधना-सिद्धि के लिए बेहद विशेष होगा। इस योग का नाम शश योग है। इस दिन पांच ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति भी होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इससे पहले ग्रहों की यह स्थिति और ऐसा योग वर्ष 1961 में रहे थे। इस दौरान दान-पुण्य करने का भी विधान है। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर शिव मंदिरों में तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश शास्त्री ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि पर चंद्र शनि की मकर में युति के साथ शश योग बन रहा है। आमतौर पर श्रवण नक्षत्र में आने वाली शिवरात्रि व मकर राशि के चंद्रमा का योग ही बनता है। जबकि इस बार 59 साल बाद शनि के मकर राशि में होने से तथा चंद्र का संचार अनुक्रम में शनि के वर्गोत्तम अवस्था में शश योग का संयोग बन रहा है। चूंकि चंद्रमा मन तथा शनि ऊर्जा का कारक ग्रह है। यह योग साधना की सिद्धि के लिए विशेष महत्व रखता है।
पंडित द्विवेदी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में साधना के लिए तीन रात्रि विशेष मानी गई हैं। इनमें शरद पूर्णिमा को मोहरात्रि, दीपावली को कालरात्रि तथा महाशिवरात्रि को सिद्ध रात्रि कहा गया है। महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी रहेगा। इस योग में भगवान शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना को श्रेष्ठ माना गया है। महाशिवरात्रि को शिव पुराण और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 2020
21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक.
रात्रि प्रहर पूजा मुहूर्त
शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक.
पूजा का समय:
महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है। महाशिवरात्रि पर रात्रि में चार बार शिव पूजन की परंपरा है। महाशिव रात्रि के मौके पर भोले नाथ का जलाभिषेक करने की विशेष परंपरा है। भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर, धतूरा के साथ जलाभिषेक करना शुभ रहता है। मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था जिस कारण से महाशिवरात्रि का महत्व है। इसके अलावा शिवरात्रि पर आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं।

पंडित लक्ष्मीकांत द्विवेदी के अनुसार महाशिवरात्रि में कुछ उपाय भी बेहद कारगर होते हैं
* महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक दान पुण्य करना चाहिए।
* साधु-संतों के साथ ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन कराकर वस्त्र दान कर गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए।
* पक्षियों को दाना डालने के साथ कुंडली लगाएं।
* पीपल को जल चढ़ाएंए जिससे विशेष लाभ मिलता है

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो