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मंडला

बारिश में बीमार हुए तो नहीं मिलती एम्बुलेंस सुविधा

मरीज को खाट पर ले जाना मजबूरी

मंडलाJun 24, 2022 / 11:28 am

Mangal Singh Thakur

बारिश में बीमार हुए तो नहीं मिलती एम्बुलेंस सुविधा

बारिश में बीमार हुए तो नहीं मिलती एम्बुलेंस सुविधा

मंडला. जनप्रतिनिधि व अधिकारी क्षेत्र के विकास के बड़े बड़े दावे करते हैं लेकिन इन दावों की पोल ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश के समय खुल जाती है। आज भी ऐसे गांव जिले में है जहां वन विभाग की जमीन आ जाने के कारण पक्की सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। यहां लोंगो के लिए बारिश के चार माह मुसीबत से भरे होते हैं।
कई बार स्थिति ऐसी निर्मित हो जाती है कि लोगों को अपनी जान भी गवानी पड़ती है। डिलवेरी का समय हो या सर्पदंश तत्काल एम्बुलेंस की सुविधा भी गांव तक नहीं पहुंचती है। यह हाल घुघरी ब्लॉक के वन ग्राम साजपानी और टिकरा टोला जैसे गांवों के हैं। हाल ही में घुघरी ब्लॉक के बहेरा टोला में एंबुलेंस नहीं पहुंचने पर एक गर्भवती महिला को एम्बुलेंस कर्मियों को तीन किलोमीटर खाट में लेकर पैदल चलना पड़ा था। उपचार देरी से मिलने के कारण प्रसव के बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया।
ऐसा ही एक घुघरी ब्लॉक का ही ग्राम पंचायत बिलगांव का वनग्राम साजपानी और टिकराटोला है यहां लोग मूलभूत समेत अन्य सुविधाओं से वंचित है। 689 की जनसंख्या वाले आदिवासी बाहुल्य वनग्राम में पहुंच मार्ग न होने से ग्रामीण भारी दिक्कतों का सामना करते हैं। खासकर बारिश के सीजन में इस पगडंडी नुमा रास्ते से पैदल चलना भी दूभर हो जाता है। बारिश शुरू हो गई है और यहां के लोगों को पूरे बारिश के सीजन में वनवास में काटना पड़ेगा। इन गांव के लोग बारिश के सीजन में करीब 6 किमी पैदल चलकर मुख्य मार्ग गोपांगी तक आना पड़ता है। पगडंडी वाले रास्ते में कीचड़ ही कीचड़ से गुजरना पड़ता है।
बताया गया कि वनग्राम साजपानी में मार्ग निर्माण के लिए यहां के ग्रामीण वर्षो से जदोजहद कर रहे है। ग्राम का पहुंच मार्ग वन क्षेत्र में आने के कारण यहां मार्ग बनने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, ग्रामीणों के प्रयास से यहां के वन क्षेत्र में बने मार्ग के लिए वन विभाग से अनुमति मिल गई है। जिसके बाद भी यहां मार्ग बनने का इंतजार ग्रामीण कर रहे है। इस ग्राम की दुदर्शा से जिले के अधिकारी, जनप्रतिनिधि और नेता भी अनभिज्ञ नहीं है। इनकी समस्या के निराकरण के लिए अधिकारी और नेता कई बार यहां आ चुके है, लेकिन इन ग्रामीणों की समस्या का समाधान आज दिनांक तक नहीं हो सका है।
बीमार रोगी को अस्पताल पहुंचाना बड़ी चुनौती

बरसात के दिनों में यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो उसको अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीण कीचड़ भरे रास्ते में मरीज को खाट पर रखकर लाते ले जाते हैं। सड़क नहीं होने के चलते इलाज के अभाव में कई लोगों की अकाल मृत्यु भी हो जाती है। ग्रामीण राम सिंह ने बताया कि वे जनप्रतिनिधियों से लेकर कलेक्टर तक सड़क बनाने के लिए मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक सड़क निर्माण नहीं हुआ है। मार्ग ना होने के कारण हमें कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं। मार्ग ना होने के कारण बीमार रोगी को समय पर ईलाज नहीं मिल पाता है। ग्रामीणों ने बताया कि गोपांगी से वनग्राम साजपानी तक पूरा रास्ता बर्रा और पगडंडी नुमा है। मार्ग की शुरूआत में ही चढ़ाई है। जिसे पार करने में ही लोगों के पसीने छूट जाते है। बारिश में तो यहां से निकलना ही मुश्किल हो जाता है। बाकी मौसम में मार्ग सूखा होने के कारण आना जाना ग्रामीण जैसे तैसे कर लेते है। आवाजाही की समस्या को देखते हुए ग्रामीण यहां के जर्जर मार्ग और पहाड़ी की चढ़ाई को प्रतिवर्ष दुरूस्त करते है। जिसके लिए वनग्राम साजपानी के ग्रामीण श्रमदान करने स्वयं आगे आते है। जिसके बाद यह मार्ग कुछ चलने लायक होता है।
पीएम आवास बनाना भी पड़ रहा महंगा

बताया गया कि वन ग्राम साजपानी में पीएम आवास के अंतर्गत कुछ आवास भी स्वीकृत किए गए है। ग्रामीण बुद्धराम धुर्वे ने बताया कि ग्राम में पीएम आवास तो बन रहे है लेकिन पीएम आवास बनाना महंगा पड़ रहा है। निर्माण सामग्री की ढुलाई में ही आधी राधि खर्च हो जाती है।

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