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गांव से दो किलोमीटर पहले रुक जाते हैं एम्बुलेंस के पहिए

locationमंडलाPublished: Nov 06, 2019 08:01:10 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

धनगांव की बदहाल स्थिति से जनप्रतिनिधियों को नहीं सरोकार

गांव से दो किलोमीटर पहले रुक जाते हैं एम्बुलेंस के पहिए

गांव से दो किलोमीटर पहले रुक जाते हैं एम्बुलेंस के पहिए

निवास. मोहगांव विकास खंड का ग्राम पंचायत धनगांव एक दिन पूर्व त्यौहार मनाने में अलग पहचान रखता है। लेकिन यहां के वांशिदो को आज भी मूलभूत सुविधओं के लिए तरसना पड़ रहा है। गांव तक पहुंचने के लिए इमरजेंसी सेवा डायल 100, एम्बुलेंस 108 वाहन के कर्मचारियों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। यहां तक की जर्जर पुलिया की सुध भी अधिकारी-कर्मचारी नहीं ले रहे हैं। जिससे स्कूल जाने वाले नौनिहाल जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं। जानकारी के अनुसार धनगांव मंडला सांसद और केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन कुलस्ते के गृहग्राम बाबलिया से कुछ ही दूरी पर स्थित है। जहां चलने के लिए पक्की सड़क तक नहीं है। आलम ये कि गांव में एम्बुलेंस तक नहीं पहुंच पा रही है। विकास से दूर यहां के वांशिदों को रोजाना ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री का दावा है कि गांव में चलने के लिए पक्की सड़क है। लेकिन जमीनी हाकिकत कुछ और ही है। गांव के हालात बद से बत्तर है जो ग्रामीण केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री के दावे को सिरे से खारिज कर रहे है।
सांसद और केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का कहना है कि उन्होने धनगांव और उसके आस-पास के गांव को पक्की सड़क के माध्यम से मुख्य मार्ग से जोड़ा है। बैगा बहुल्य धनगांव में की आबादी करीब एक हजार के आस-पास है। लेकिन इस गांव की बदहाली का ये आलम है कि यहां जाने के लिए कोई भी गाड़ी गांव तक नहीं जाती है क्योकि गांव तक जाने के लिए सड़क ही नहीं है। यहां के वांशिदों को चलने के लिए खेत से सड़क ढूंढना पड़ता है। दरअसल गावं तक पहुंचने की सड़क कच्ची है। जिससे ग्रामीणों को आने-जाने के लिए खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीणों को उस वक्त होती है जब गांव में कोई ग्रामीण गंभीर रूप से बीमार हो जाए या फिर कोई महिला की डिलेवरी होनी हो तो गांव में एंबुलेंस तक नहीं जा पाती है। इतना ही नहीं उक्त गांव में मोबाइल फोन के नेटवर्क से लेकर पीने के पानी तक जैसी कई मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है। गांव लोग बताते है कि चलने के लिए ना सड़क है ना ही गांव में नेटवर्क है। गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने की वजह से कई परेशानियों से रोजाना ही दो चार होना पड़ता है।


दो किमी दूर खड़ा करना पड़ता है वाहन
किसी भी गांव का विकास तब संभव है जब वहां अवागमन का रास्ता सुलभ हो। पत्रिका टीम ने धन गांव ग्राम पहुंचकर गांव के विकास की हकीकत जानी तो पता चला कि यहां लोग संघर्ष के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ग्राम तक पहुंचने से पहले 2 किमी दूर अपना वाहन खड़ा करना पड़ता है। एम्बुलेंस कर्मचारी भी मरीज को लेने के लिए दो किलोमीटर दूर पैदल ही पहुंचते हैं। ग्राम में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं है। गांव में शौचालय निर्माण भी अधूरा पड़ा है। पेयजल, शिक्षा व्यवस्था सहित अन्य समस्या बनी हुई है। प्रधानमंत्री आवास की भी किश्तें अटकी हुई हैं। जिससे वाहन पूर्ण नहीं हो पा रहा है।


गांव में पक्की सड़क नहीं बनाई गई आने जाने के लिए लोगों को परेशानी हो रही है। कुछ समय पूर्व गांव की पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई थी। जिसकी मरम्मत अब तक नहीं की गई है।
सुरेश यादव, ग्रामीण


धनगांव को मुख्य मार्ग से जोड़ा गया है। धनगांव से दूसरे गांव जाने के लिए रास्ता कच्चा है। वन विभाग की जमीन के कारण समस्या हो रही है। पक्की सड़क बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
फग्गन सिंह कुलस्ते, केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री

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