केन्द्र में महज 800 से 850 लीटर पहुंच रहा दूध
मंडला
Published: April 16, 2022 11:12:03 am
मंडला. सांची दुग्ध शीत केन्द्र में दूध बेंचने में पशुपालक रूची नहीं दिखा रहे हैं। 5 हजार क्षमता वाले केन्द्र में महज 800 से 850 लीटर दूध ही पहुंच रहा है। जबकि केन्द्र में दूध की गुणवत्ता के अनुसार 16 रुपए से 60 रुपए लीटर पशुपालकों से क्रय किया जाता है। वहीं पशुपालकों को पशुओं के लिए विशेष आहर सहित विभिन्न सुविधाएं सहकारी संघ द्वारा दी जाती है। जानकारी के अनुसार जिले में देवदरा रोड में संचालित सांची दुग्ध शीत केन्द्र में समितियों द्वारा दूध एकत्रित कर पहुंचाया जाता है। समितियां आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से दूध एकत्रित करके दुग्ध शीत केन्द्र में पहुंचाती हैं। जहां इसे एक बड़े फ्रीजर में कुछ समय तक के लिए रखा जाता है इसके बाद इसे एक विशेष वाहन से जबलपुर सांची केन्द्र को रवाना कर दिया जाता है। जानकारी के अनुसार सांची दुग्ध केन्द्र द्वारा दूध संग्रहण कर दूध इस केन्द्र तक पहुंचाने के लिए दूध उत्पादकों की समिति बनाई जाती है लेकिन जिला मुख्यालय में बैठे अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा समितियों की संख्या बढ़ाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं जिसके चलते समय के साथ-साथ इन समितियों की संख्या कम होती जा रही है। वर्तमान में सिर्फ 20 समितियों द्वारा ही दूध संग्रहण का कार्य किया जा रहा है। इन समितियों से वर्तमान में महज 800 से 850 लीटर प्रतिदिन दूध संग्रहण हो पा रहा है।
भुगतान की प्रक्रिया कठिन
इस केन्द्र की शुरूआत गौ पालन को बढ़ावा देने, दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया गया था ताकि लोग शुद्ध दूध लेकर इस केन्द्र में आएं और दूध के बदले वाजिब दाम पाएं। वहीं दूसरी ओर कई दूध उत्पादकों का कहना है कि बाजार में दूध बेचने पर तत्काल भुगतान हो जाता है, लेकिन सांची दुग्ध केन्द्र में भुगतान की प्रक्रिया में करीब एक पखवाड़ा तक का समय लग जाता है, जबकि पशुओं के आहार सहित अन्य घरेलू खर्चों के लिए तत्काल रुपयों की जरूरत होती है।
फ्रीजर में है 5000 लीटर दूध रखने की क्षमता
सांची सहकारी दुग्ध संघ जबलपुर द्वारा संचालित किया जा रहे दुग्ध केन्द्र में अपेक्षाकृत कितना कम दूध का संग्रहण हो रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस केन्द्र में जो फ्रीजर लगाया गया है उसमें 5000 लीटर तक दूध संग्रहित करके रखा जा सकता है जबकि वर्तमान में जो दूध का संग्रहण हो रहा है वह मात्र 800 से 850 लीटर पर सिमट कर रह जा रहा है। इतना ही नहीं दूध रखने वाले फ्रीजर के आसपास भारी गंदगी देखी जा रही है। समितियों का कहना है कि जिला मुख्यालय तक दूध पहुंचाने से अच्छा है कि समितियों के पास ही बल्क मिल्क कूलर लगा दिए जाएं। इन्हीं कूलरों में दूध एकत्रित किया जा सकता है और काफी समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। वहीं से सीधे टैंकरों के माध्यम से संघ में पहुंचा सकते हैं। इस तरह समिति से शीत केंद्र और फिर शीत केंद्र से दुग्ध संघ के बीच परिवहन और अलग-अलग स्टोरेज करने की दिक्कत से बच सकते हैं। पशुपालकों का कहना है कि सांची ब्रांड के दूध और उसके उत्पादों के रहते हुए दूसरे ब्रांड जगह बना रहे, उससे निपटने के लिए संघ के पास कोई योजना नहीं है जबकि सांची दूध मध्य प्रदेश का 35 से 40 साल पुराना सहकारी ब्रांड है। दुग्ध संघ को अपने अधीन जिलों में ज्यादा से ज्यादा दूध खरीद कर मध्य प्रदेश समेत बाहरी राज्यों में सप्लाई करना चाहिए।
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