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ब्लड डोनर के रक्त से मरीज को खतरे की आशंका

locationमंडलाPublished: Aug 17, 2019 11:46:07 am

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

ब्लड बैंक में पैथोलॉजिस्ट की मॉनिटरिंग के बिना चल रहा काम

Blood donor blood fears patient

Blood donor blood fears patient

मंडला। नियम है कि यदि मरीज को रक्त चढ़ाया जाना है तो मरीज और ब्लड डोनर के रक्त की क्रॉस मैचिंग हो, ताकि जब डोनर का रक्त मरीज के शरीर में जाए तो मरीज को किसी तरह का रिएक्शन न हो और न ही कोई इंफेक्शन। यह क्रॉस मैचिंग एक पैथोलॉजिस्ट की मॉनिटरिंग में ही होना चाहिए लेकिन जिला अस्पताल में भर्ती गंभीर अथवा अति गंभीर मरीज हों या कोई गर्भवती अथवा प्रसूतिका, इनमें से अधिकांश को चढ़ाए जाने वाले रक्त की क्रॉस मैचिंग पैथोलॉजिस्ट की अनुपस्थिति में ही हो रही है। इतना ही नहीं, ब्लड डोनेशन के बाद रक्त के जो सात अनिवार्य परीक्षण हो रहे हैं वे भी पैथोलििॉजस्ट की मॉनिटरिंग के बिना हो रहे हैं, अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को किस खतरे में रक्त चढ़ाया जा रहा है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में पैथोलॉजिस्ट का एक ही पद स्वीकृत है और वह भी खाली है। जितने भी संवेदनशील टेस्ट हैं वे यहां पदस्थ कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे हैं। एक जरा सी लापरवाही अथवा गलती किसी भी मरीज की जान को जोखिम में डाल सकती है।
ताकि न हो खतरा
जानकारों का कहना है कि किसी मरीज को जब किसी ब्लड डोनर का रक्त चढ़ाया जाता है तो मरीज के रक्त और डोनर के रक्त की क्रॉस मैचिंग होना अनिवार्य है। इसके जरिए एंटीबॉडी और एंटीजन की जांच होती है ताकि यह पता चल सके कि डोनर का रक्त जब मरीज के शरीर में प्रवेश करेगा तो किसी तरह का रिएक्शन अथवा इंफेक्शन नहीं होगा। इस क्रॉस मैचिंग में मरीज के सीरम और डोनर के ब्लड एवं डोनर के सीरम और मरीज के ब्लड की जांच की जाती है। यह टेस्ट बेहद संवेदनशील होता है लेकिन बिना पैथोलॉजिस्ट के ही इस टेस्ट को अंजाम दिया जा रहा है और अस्पताल में मरीजों को रक्त चढ़ाया जा रहा है।
ये भी जरुरी
किसी भी ब्लड डोनर का रक्त लेने से पहले उसके रक्त में हीमोग्लोबिन-एचबी का स्तर जांचा जाता है। यदि एचबी 12.5 मिलीग्राम है तभी डोनर से ब्लड लिया जाता है। रक्तदान के बाद रक्त में छह अन्य परीक्षण किए जाते हैं। उनमें एचआईवी, हैपेटाइटिस-बी, हैपेटाइटिस-सी, वीडीआरएल, मलेरिया और ब्लड ग्रुप शामिल हैं। एचआईवी और वीडीआरएल टेस्ट से पता चलता है कि ब्लड डोनर को कोई यौन संक्रमण तो नहीं है। उक्त छह टेस्ट में खरा उतरने पर ही डोनर का रक्त संग्रहण किया जाता है और मरीज को रक्त चढ़ाने से पहले क्रॉस मैच परीक्षण किया जाता है।

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