ट्रैक सूट में पहुंचते हैं सिविल सर्जन जिला अस्पताल
मंडलाPublished: Jan 18, 2019 05:10:34 pm
कलेक्टर के औचक निरीक्षण में भी अनुशासनहीन बने रहे सीएस
Civil Surgeon District Hospital reaches the track suite
मंडला. आज से लगभग दो सप्ताह पहले कलेक्टर जगदीश चंद्र जटिया ने स्वास्थ्य विभाग को अल्टीमेटम दिया था कि वे १५ दिनों बाद कभी भी जिला अस्पताल के औचक निरीक्षण पर पहुंचेंगे, इसलिए सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर लें। अन्यथा निरीक्षण के दौरान किसी भी तरह की अव्यवस्था मिलने पर कोई बहाना नहीं सुना जाएगा। १७ जनवरी की सुबह ९ बजे कलेक्टर जटिया अचानक जिला अस्पताल के दौरे पर पहुंचे तो इस बात का उन्हें एहसास हो गया कि जिला अस्पताल प्रबंधन ने उनके अल्टीमेटम को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कि सिविल सर्जन डॉ मनोज मुराली कलेक्टर के समक्ष शासन द्वारा निर्धारित चिकित्सकीय पोशाक में नहीं, बल्कि ट्रैक सूट में उपस्थित हुए और पूरे जिला अस्पताल में कलेक्टर जटिया के साथ ट्रैक सूट में भ्रमण करते नजर आए। डॉ मुराली की यह अनुशासनहीन उपस्थिति कलेक्टर को बेहद खली लेकिन अपने पद की गरिमा को देखते हुए वे उस वक्त बेहद संयमित रहे।
जगह-जगह गंदगी, टूटी खिड़कियां, जाम दरवाजे, सड़ांध मारते शौचालय, अस्पताल परिसर में जगह जगह इकट्ठा कचरा-गंदगी और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण कि ओपीडी में कोई भी चिकित्सक अपने अपने चैंबर में उपस्थित नहीं पाकर कलेक्टर भड़क उठे। जाहिर है कि न केवल अस्पताल प्रबंधन बल्कि ज्यादातर चिकित्सकों ने कलेक्टर जटिया के अल्टीमेटम को तवज्जो नहीं दी। उन्होंने सख्त चेतावनी दी कि सभी चिकित्सक समय पर अस्पताल पहुंचना शुरु कर दें अन्यथा उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी। ओपीडी पर चिकित्सकों की अनुपस्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अनुपस्थित चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश भी दिए। यह भी कहा कि सभी चिकित्सक पहले ओपीडी आएं और इसके बाद ही वार्ड में भर्ती मरीजों को देखने के लिए राउंड पर जाएं।
मरीजों ने की शिकायत
वार्ड में भ्रमण के दौरान वहां भर्ती मरीजों ने कलेक्टर से शिकायत की कि उनका सही तरीके से उपचार नहीं किया जा रहा है। कई बार तो चिकित्सक उन्हें देखने ही नहीं आते और दवाई लिख देते हैं। बिना मरीज का हाल जाने कैसे सही दवाई लिखी जा सकती है, इस पर मरीजों और उनके परिजनों ने आश्चर्य जताया तो कलेक्टर ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक चिकित्सक अपने-अपने वार्डों पर नियमित रूप जाऐं और मरीजों की जांच के बाद मौके पर ही आवश्यक दवाईयां लिखें। फाइल मंगाकर दवा लिखने की परंपरा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
जिला अस्पताल परिसर में संचालित ब्लड बैंक में कभी भी मरीजों को रक्त उपलब्ध नहीं मिलता। रक्तदाता भी रक्तदान करने से कतराते हैं क्योंकि ब्लड बैंक में जबर्दस्त भर्राशाही मची हुई है। यहां रक्तदाताओं से सही व्यवहार नहीं किया जाता, यहां तक कि उन्हें शासन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाली रिफ्रेशमेंट योजना का लाभ भी नहीं दिया जाता। यही कारण है कि अब रक्तदाता रक्तदान करने से कतराने लगे हैं। पत्रिका ने इस मुद्दे को पिछले अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। ब्लडबैंक का निरीक्षण करते हुए कलेक्टर ने रक्तदाता को दिए जाने वाले रिफे्रशमेंट की जानकारी ली। रक्तदाता को रिफ्रेशमेंट दिए जाने की बात पर ज्यादातर कर्मचारियों ने इस बात को स्पष्ट रूप से कहने में हिचकते रहे कि ब्लड बैंक से रिफ्रेशमेंट उपलब्ध नहीं कराया जाता।