शौचालय का इस्तेमाल मजबूरी में
सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ा बजट खर्च किए जाने की बात कही जाती है। इसके बाद भी उस राशि का उपयोग सरकारी अस्पतालों में दिखाई नहीं देता है। जिला अस्पताल के शौचालयों की स्थिति ऐसी है कि मरीज इनका उपयोग बहुत मजबूरी में ही करते हैं। कहीं शौचालय की सीट टूटी है, तो कहीं सिंक में पानी ही नहीं आ रहा है। शौचालय में गंदगी होने से मरीजों के साथ रहने वाले परिजनों को सामुदायिक शौचालयों में पैसे खर्च कर उपयोग करना पड़ रहा है।
वार्डों में भी गंदगी
300 बिस्तरीय जिला अस्पताल में साफ-सफाई को लेकर लाखों रूपये खर्च तो किए जा रहे हैं लेकिन इतनी राशि खर्च होने के बाद भी साफ-सफाई शून्य नजर आ रही है। अस्पताल परिसर से लेकर जिन वार्डों में मरीज भर्ती हैं वहां भी कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं। ठेकेदार द्वारा सफाई कर्मचारियों को दस्ताने सहित अन्य जरूरी सुरक्षा सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जिसके कारण सफाई कर्मचारियों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
गंदगी के बीच परिजन पका रहे भोजन
अस्पताल में भर्ती मरीजों को तो अस्पताल से भोजन मिल जाता है लेकिन दूर-दराज से आए मरीजों के परिजनों को अस्पताल परिसर में बनी रसोई में ही भोजन बनाना पड़ता है। परिसर में शौचालय के बाजू में बनी रसोई में सफाई का अभाव देखा जा रहा है। पानी की व्यवस्था नहीं होने से भोजन पका रहे मरीजों के परिजनों को यहां बनी पानी की टंकी के नीचे जमा पानी का उपयोग करना पड़ रहा है।