सर्द हवाओं से बढ़ा पाले का खतरा, जम गई ओंस की बूंदें
किसानों की आंखों से नींद उड़ गई है

मंडला। पूरे जिले में कड़ाके की सर्दी
पड़ रही है, साथ ही लगातार शीत
लहर भी चल रही है। न्यूनतम पारा
4-5 डिसे के बीच गोता लगा रहा है।
लगातार बिगड़ते मौसम के कारण
किसानों की आंखों से नींद उड़ गई
है क्योंकि इस मौसम से पाला पडऩे
का अंदेशा बढ़ गया है। उत्तर की
ओर से चलने वाली सर्द हवाओं से
ही फसलों पर पाला पड़ जाता है।
पिछले तीन दिनों से शीत लहर का
प्रकोप बढ़ गया है। शनिवार के दिन
इस लहर का सर्वाधिक प्रकोप रहा
और दिन के वक्त भी तापमान 18-
20 डिसे के आसपास ठहर गया।
सर्द हवाओं के बढ़ते असर और
बदलते मौसम के कारण कृषि
विभाग ने भी किसानों को सावधानी
बरतने की चेतावनी दी है और साथ
ही पाले से फसल को बचाने के
लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी गई
है।
जानकारों के अनुसार, पिछले दो
दिनों से पश्चिम की ओर से ही हवाएं
चल रहीं थी। इस कारण पाले का
खतरा कम था लेकिन शुक्रवारशनिवार
की दरमियानी रात को सर्द
हवाओं ने अपना रुख बदल दिया
और उत्तर की ओर से चलने वाली
हवाओं के कारण फसलों पर पाले
का खतरा शुरु हो गया
जम गई ओस की बूंदें
उपनगरीय क्षेत्र महाराजपुर के कुछ
इलाकों में शुक्रवार-शनिवार की
दरमियानी रात को कड़ाके की सर्दी
में ओस की बूंदे भी जम गईं। यहां
गोकुलधाम क्षेत्र के नजदीक मैदानी
इलाकों और खेतों में ओस की बूदों
को बर्फीले कण में बदला हुआ पाया
कड़ाके की ठंड में झुलसने लगी सब्जियों की पत्तियां
हजारों एकड़ की फसल खतरे में
कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पूरे जिले में दलहनी फसल का रकबा
लगभग 42 हजार हेक्टेयर है और दूसरी ओर स?िजयों का रकबा लगभग
250-300 हेकटेयर है। पाले का सबसे बुरा प्रभाव इन्हीं दोनों फसलों पर
पड़ता है। पाले की ठंड दलहनी फसल बटरा, मसूर को और सब्जियों में
टमाटर आदि को झुलसा देती हैं। जिले में खरीफ की फसल की तैयारी भी
जोरों पर हैं। खरीफ की फसल जिले भर में लगभग 2 लाख हेक्टेयर पर बोई
जाएगी। पाले का असर गेहूं पर नहीं पड़ता। यही कारण है कि सब्जी और
दलहन उत्पादकों के आंखों से नींद गायब हो चुकी है।
विभाग ने जारी की गाइड लाइन
मौसम विभाग द्वारा जिले में रात्रि के तापमान तेजी से कम होने की संभावना
बताई गई है। तापमान में होने वाली इस गिरावट का असर विशेष रूप से
दलहनी, तिलहनी एवं सबजी वाली फसलों पर पाले के रूप में होने की
आशंका है। उप संचालक कृषि द्वारा जिले के सभी वरिष्ठ कृषि विकास
अधिकारियों तथा मैदानी अमले को अपने-अपने क्षेत्र के किसानों से सतत्
स्पर्क स्थापित करने को कहा गया है। साथ ही पाले से बचाव के लिए
आवश्यक सलाह देने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही क्षेत्र में सघन भ्रमण कर
फसलों की स्थिति पर नजर रखने के भी निर्देश दिए गए हैं।
* जिले के किसानों को रात्रि में विशेषकर खेत की मेड़ो पर कचरा तथा
खरपतवार आदि जलाकर धुआं करने की सलाह दी गई है, जिससे धुएं की
परत फसलों के ऊपर आच्छादित हो जाए।
* शुष्क भूमि में पाला पडऩे का अधिक जोखिम होता है इसलिए फसलों में
स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई करने की भी सलाह दी गई है।
* थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर
15-15 दिन के अंदर से छिड़काव भी पाले के विरूद्ध उपयोगी उपाय है।
* 8 से 10 किलोग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ का भुरकाव अथवा घुलनशील
सल्फर ३00 ग्राम प्रति ३00 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव भी किया
जा सकता है।
फैक्ट फाइल:
42 हजार हेक्टेयर- दलहन
300 हेक्टेयर- सब्जी उत्पादन
ड्राय एरिया - बीजाडांडी
8 विकासखंड में पाले का खतरा
इनका कहना है
पाले से बचाव के लिए
आवश्यक है कि जिले के
किसान विभागीय गाइडलाइन का
पालन करें और अधिक सलाह के
लिए विभागीय अधिकारियों से संपर्क
भी करें। लगातार हम किसानों को
समझाइश दे रहे हैं।
आरबी साहू, उपसंचालक, कृषि,
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