मंडला

रक्तदाताओं की राशि भ्रष्टाचार की चढ़ रही भेंट, ब्लड बैंक में जमकर चल रही धांधली

शासकीय अधिकारी रक्त दान करने वाले रक्तदाताओं के लिए आने वाले वित्तीय कोष को भी बेशर्मी से डकार रहे हैं

मंडलाDec 16, 2018 / 02:09 pm

shubham singh

corruption in blood bank

मंडला। आदिवासी बहुल्य जिले में
पदस्थ ज्यादातर अधिकारियों की
रग-रग में मानो भ्रष्टाचार अपनी जड़ें
जमा चुका है। शायद यही कारण है
कि यहां कुछ शासकीय अधिकारी
रक्त दान करने वाले रक्तदाताओं के
लिए आने वाले वित्तीय कोष को भी
बेशर्मी से डकार रहे हैं। गौरतलब है
कि यह फंड राजय स्तर से जारी किया
जाता है। जिला अस्पताल परिसर में
रोटरी क्लब के सहयोग से स्थापित
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ब्लड
बैंक में आए दिन रक्त की कमी बनी
रहती है। जिला अस्पताल आने
वाली अधिकांश प्रसूताएं और
गर्भवती महिलाएं रक्त की कमी से
पीडि़त पाई जाती हंै। लेकिन उनके
परिजन रक्त के लिए हमेशा भटकते
पाए जाते हैं। उन्हें ब्लड बैंक में रक्त
ही नहीं मिलता। वर्तमान में भी ब्लड
बैंक में रक्त की मात्र 3-4 यूनिट ही
उपलब्ध है।
दरअसल ब्लड बैंक में रक्तदान
करने से जिले के ज्यादातर
सामाजिक संस्थाएं अब दूरी बनाने
लगे हैं क्योंकि आदिवासी बहुल्य
जिले में रक्तदाताओं का रक्त भ्रष्ट
अधिकारियों की काली कमाई को
बढ़ाने का जरिया बनता जा रहा है।
साल भर में जिला अस्पताल में
रक्तदान करने के लिए सामाजिक
संस्थाओं द्वारा दर्जनो शिविर लगाए
गए। लेकिन इनमें से किसी भी
शिविर में रक्तदाताओं को रिफ्रेशमेंट
उपलब्ध नहीं कराया गया। जबकि
राज्य रक्तदान परिषद द्वारा जिला
एड्स नियंत्रण समिति को प्रत्येक
रक्तदाता के पौष्टिक जलपान के
लिए आर्थिक मदद भेजी जाती है।
इतना ही नहीं, रक्तदाताओं का
कहना है कि जब भी उन्हें रक्त की
आवश्यकता होती है तो ब्लड बैंक
द्वारा उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी
जाती।
प्रति रक्तदाता 25 रुपए
रक्तदान को महादान कहा जाता
है क्योंकि रक्त का कोई विकल्प नहीं
है। मरीज को रक्त की आवश्यकता
पडऩे पर अन्य व्यक्ति द्वारा रक्तदान
करना ही एकमात्र विकल्प होता है।
यही कारण है कि रक्तदान करने पर
रक्तदाता को प्रति यूनिट के हिसाब
से 25 रुपए का फंड जारी किया
जाता है। जानकारी के अनुसार,
उक्त फंड राज् य रक्तदान परिषद
जिला एड्स नियंत्रण समिति को
भेजती है। समिति का दायित्व होता
है कि रक्तदाता को रक्तदान के बाद
25 रुपए का रिफ्रेशमेंट उपलब्ध
कराया जाए। जिसमें दूध और केले
या सेव, दूध-बिस्किट, जूस या फल
उपलब्ध शामिल किए जाते हैं।
लेकिन जिला अस्पताल में किसी भी
रक्तदाता को जलपान अथवा
रिफे्रेशमेंट उपलब्ध नहीं कराया जा
रहा है।
जिला अस्पताल में वर्ष 2018 में
जनवरी से नवंबर के दौरान दर्जनों
कैंप लगे। जिनमें एक हजार से
अधिक यूनिट का रक्तदान किया
गया। एक व्यक्ति द्वारा एक यूनिट
रक्त दान किया जाता है। विभागीय
सूत्रों के अनुसार, इन शिविरों में
लगभग 1000 यूनिट से अधिक
ब्लड इक_ा किया गया। जाहिर है
कि इतने ही रक्तदाता भी उपस्थित
रहे लेकिन किसी को भी जिला
अस्पताल द्वारा रिफ्रेशमेंट उपलब्ध
नहीं कराया गया। 25 रुपए प्रति
रक्तदाता के हिसाब से 25 हजार
रुपए से अधिक की राशि राज्य
रक्तदाता परिषद द्वारा उपलब्ध
कराई जानी थी। जिले के रक्तदान
करने वाले स्वयं सेवी संगठनों में
गौसेवा एवं रक्तदान संगठन सबसे
आगे है। संगठन के पदाधिकारियों
और कार्यकर्ताओं का कहना है कि
वे आए दिन ब्लड बैंक में रक्तदान
करते हैं लेकिन रिफ्रेशमेंट के नाम
पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई

इनका कहना है
हमारे संगठन के सदस्य आए
दिन रक्तदान करते हैं लेकिन
किसी भी डोनर को रिफ्रेशमेंट
योजना का लाभ नहीं दिया जाता।
दिलीप चन्द्रौल, ंगठन प्रमुख, गौसेवा
एवं रक्तदान संगठन।

हमारे संगठन के सदस्यों ने
भोपाल, नागपुर, इंदौर, जबलपुर
में भी रक्तदान किया लेकिन
ज्यादातर अस्पतालों में रक्तदाताताओं
को रिफ्रेशमेंट योजना का लाभ नहीं
दिया जाता।
बैसाखु नंदा, गौसेवा एवं रक्तदान
संगठन।
ब्लड बैंक में रक्तदाताओं को
रिफ्रेशमेंट क्यों नहीं दिया जा
रहा है। इसकी जानकारी ली जाएगी।
डॉ पीपरे, सीएमएचओ मंडला

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