पिछले साल मिला था 10 किलो अनाज
पिछले साल लॉकडॉउन के समय नगर पालिका द्वारा जरूरतमंदो को राशन का वितरण किया गया था। जिसमें मंगल उइके को भी एक बार 10 किलो आनाज मिला इसके बाद से आज तक अधिकारियों ने मंगल की सुध नहीं ली। मंगल के पास राशन कार्ड है ना कोई और पात्रता पर्जी जिससे उसे उचित मूल्य में राशन मिल सके। इतना ही नहीं दोनो वृद्ध एक जर्जर झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। झोपड़ी में छप्पर भी नहीं है। बारिश के दिनो में पन्नी लगाकार चार माह काट लेते थे। लेकिन अब उनके लिए यह व्यवस्था जूटा पाना भी मुश्किल है। कोरोना संकट में इस बार समाज सेवियों ने भी वृद्ध दंपति के हाल चाल जानने नहीं पहुंचे। हालांकि दो दिन पूर्व पड़ोसियों ने कुछ मदद की है। जिससे टूटी झोपड़ी में पन्नी ढंक दिया गया है।
वृद्धा की बिगड़ी तबीयत
प्रशासन भले ही किल कोरोना अभियान के तहत घर घर सर्वे करने की बात कर रहा हो लेकिन इन वृद्धों के पास अब तक कोई टीम नहीं पहुंची है। कुछ दिनो से वृद्धा संतो बाई की तबियत भी खराब है। ऐसे मंंगल उइके की चिंता बढ़ती जा रही है। दंपति को मकान ही स्वीकृत हुआ है ना ही शासन की किसी योजना का लाभ मिल सका है। संतान विहिन दंपति अपना अंतिम समय भी परेशानियों के बीच काट रहे हैं। वृद्ध मंगल ने बताया कि अब उसने किसी से मदद नहीं मांगी है। उसे उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना कफ्र्यू खत्म होगा और वह फिर अपनी मेहनत से कमा कर पेट भर भोजन कर पाएगा। वर्तमान में उसके पास एक दो किलो आटा पड़ोसियों ने दिया है जिससे ही अपनी भूख मिटा रहा है।