scriptकोरोना से बढ़ा वृद्ध दंपति का संकट | Corruption of old couple increased due to corona | Patrika News

कोरोना से बढ़ा वृद्ध दंपति का संकट

locationमंडलाPublished: May 09, 2021 11:59:48 am

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

खाने के पड़े लाले, दो वक्त की रोटी भी नहीं हो रही नसीब

कोरोना से बढ़ा वृद्ध दंपति का संकट

कोरोना से बढ़ा वृद्ध दंपति का संकट

मंगल सिंह
मंडला. पिछले साल कोरोना संकट काल ने लोगों की रोजी रोटी छिन ली है तो सरकार भी उनके मदद के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू कर दी। किसी को पत्रता पर्ची देकर निशुल्क भोजन दिलाया तो किसी को स्ट्रीट वेंडर के तहत आर्थिक मदद कर स्वरोजगार से जोड़ा। लेकिन दूसरी लहर ने फिर से सब कुछ तहस नहस कर दिया। कुछ लोगों की हालत ऐसी हो गई है जिनके यहां चूल्हा भी नहीं जल पा रहा है। ऐसा ही एक वृद्ध दंपति बम्हनी नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 13 टिकरी में निवास कर रहा है। कोरोना कफ्र्यू के बाद दंपति को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है। जानकारी के अनुसार मंगल उइके 68 वर्ष अपनी पत्नी संतो बाई 63 वर्ष के साथ टिकरी में निवास कर रहा है। मंगल कोरोना कफ्र्यू के पहले पल्लेदारी करके दो वक्त की रोटी जूटा पाता था। लेकिन कोरोना कफ्र्यू ने काम बंद करा दिया है। लगभग एक माह से काम बंद होने के कारण घर में जो थोड़ा बहुत अनाज था वह भी खत्म हो गया है।


पिछले साल मिला था 10 किलो अनाज
पिछले साल लॉकडॉउन के समय नगर पालिका द्वारा जरूरतमंदो को राशन का वितरण किया गया था। जिसमें मंगल उइके को भी एक बार 10 किलो आनाज मिला इसके बाद से आज तक अधिकारियों ने मंगल की सुध नहीं ली। मंगल के पास राशन कार्ड है ना कोई और पात्रता पर्जी जिससे उसे उचित मूल्य में राशन मिल सके। इतना ही नहीं दोनो वृद्ध एक जर्जर झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। झोपड़ी में छप्पर भी नहीं है। बारिश के दिनो में पन्नी लगाकार चार माह काट लेते थे। लेकिन अब उनके लिए यह व्यवस्था जूटा पाना भी मुश्किल है। कोरोना संकट में इस बार समाज सेवियों ने भी वृद्ध दंपति के हाल चाल जानने नहीं पहुंचे। हालांकि दो दिन पूर्व पड़ोसियों ने कुछ मदद की है। जिससे टूटी झोपड़ी में पन्नी ढंक दिया गया है।


वृद्धा की बिगड़ी तबीयत
प्रशासन भले ही किल कोरोना अभियान के तहत घर घर सर्वे करने की बात कर रहा हो लेकिन इन वृद्धों के पास अब तक कोई टीम नहीं पहुंची है। कुछ दिनो से वृद्धा संतो बाई की तबियत भी खराब है। ऐसे मंंगल उइके की चिंता बढ़ती जा रही है। दंपति को मकान ही स्वीकृत हुआ है ना ही शासन की किसी योजना का लाभ मिल सका है। संतान विहिन दंपति अपना अंतिम समय भी परेशानियों के बीच काट रहे हैं। वृद्ध मंगल ने बताया कि अब उसने किसी से मदद नहीं मांगी है। उसे उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना कफ्र्यू खत्म होगा और वह फिर अपनी मेहनत से कमा कर पेट भर भोजन कर पाएगा। वर्तमान में उसके पास एक दो किलो आटा पड़ोसियों ने दिया है जिससे ही अपनी भूख मिटा रहा है।

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