खान पान सामग्री में रंगों का उपयोग हो सकता है खतरनाक
मंडलाPublished: Aug 19, 2018 12:10:28 pm
पर्वों में रहे सावधान
खान पान सामग्री में रंगों का उपयोग हो सकता है खतरनाक
मंडला. हरियाली अमावस्य के साथ ही ***** पर्वों की शुरूआत हो गई है। कुछ दिन बाद रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। कोई भी पर्व मिठाईयों के बिना अधूरा ही लगता है। ऐसे में बाजार में मिठाईयों की मांग बढ़ जाएगी। जिसके लिए दुकानदारों ने भी तैयारी जोर शोर से शुरू कर दी है। अच्छे स्वाद व लोगों को लुभाने के लिए रंग बिरंगी मिठाईयों का स्टॉक तैयार किया जा रहा है। जिसके लिए दुकानदार गुणवत्ता को भी ताक में रखने से पीछे नहीं हट रहे हैं। यह जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ही है कि खानपान सामग्री में सस्ते हानिकारक कृत्रिम रंगों का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। बनावटी रंग-रोगन से खानपान बदरंग हो रहा है। तिरंगी मिठाई, बहुरंगा केक या जगमगाते रंगों वाली गोलियां यह सभी सेहत को बिगाडऩे वाले रंगों से सजाई जा रही हैं। खाद्य सामग्री दिखने में आकर्षक लगे इसके लिए प्राकृतिक रंग-रूप पर चटक कृत्रिम रंग की परत चढ़ाने का गोरखधंधा जिले में फलफूल रहा है। बाजार में मिलने केक, जलेबी, मिठाई, फलों के रस, मसाले और फल-सब्जियों तक में कृत्रिम रंगों का प्रयोग हो रहा है। खाद्य श्रेणी के प्राकृतिक रंग महंगे होते हैं, जिसके कारण सस्ते हानिकारक कृत्रिम रंगों का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है।
खानपान सामग्री को पीला और चमकीला बनाने के लिए कैंसरजनक मेटानिल येलो रंग तक का प्रयोग होता है। नकली केसर बनाने में भी इसी को चुना जाता है। लाल मिर्च पावडर मेें प्रतिबंधित सूडान डाई का प्रयोग हो रहा है। होटल की इमरती और रेलवे प्लेटफार्म की जलेबी का लाल रंग सेहत में धीमा जहर घोल रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि खानपान में अमानक रंगों के उपयोग से चर्म रोग, नेत्र विकार, पेट संबंधी बीमारी और गुर्र्दों में खराबी संभव है।
ये रंग है प्रतिबंधित
फूड एंड ड्रग्स विभाग के मुताबिक मेटानिल येलो (पीत रंग) रोडामाइन बी, ब्लू वीआरएस, ऑरमीन, ओरेंज, सूदान, कांगोरेड, मैलशीट ग्रीन, साइट्रस रेड, लैड क्रोमेट, फास्ट रेड-ई, ग्रीन एस, अमरथ का खानपान में उपयोग प्रतिबंधित है।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी वंदना जैन का कहना है कि खानपान में यूज के लिए पैकेट पर फूड कलर स्पष्ट लिखा होता है। कुछ दिन पूर्व नगरपालिका की स्वास्थ्य विभाग टीम के साथ मुख्य बाजार में कार्रवाई की गई थी। जहां अमानक लगने वाली मिठाईयों का विनष्टिकरण किया गया था। इसके पूर्व भी होटलों से सैंपल लेकर भेजे गए हैं लेकिन जिसमें अमानक रंग नहीं पाया गया है। आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी। अमानक रंग पाए जाने पर खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम के तहत कोर्ट में केस दर्ज किया जाता हैं। जिसमें छह माह की सजा तक का प्रावधान है।