scriptपितरों का श्राद्ध करने संगम तट पर उमड़े श्रद्धालु | Devotees gathered at the Sangam beach to perform ancestral rituals | Patrika News

पितरों का श्राद्ध करने संगम तट पर उमड़े श्रद्धालु

locationमंडलाPublished: Sep 17, 2020 03:59:03 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

रपटा घाट में भी रही भीड़

पितरों का श्राद्ध करने संगम तट पर उमड़े श्रद्धालु

पितरों का श्राद्ध करने संगम तट पर उमड़े श्रद्धालु

मंडला. भारतीय धर्म शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य कन्या राशि में आते हैं, तब परलोक से पितृ अपने स्वजनों के पास आ जाते हैं। श्राद्ध तर्पण द्वारा पितृ को बहुत प्रसन्नता एवं संतुष्टि मिलती है। इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश शास्त्री का कहना है कि पितृगण प्रसन्न होकर दीर्घायु संतान सुख, धन-धान्य, विद्या, राज सुख, यश-कीर्ति, पुष्टि, शक्ति स्वर्ग एवं मोक्ष तक प्रदान करते हैं। भारतीय धर्म शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य कन्या राशि में आते हैं, तब परलोक से पित्र अपने स्वजनों के पास आ जाते हैं। यही कारण है कि नर्मदा तटों में पितृपक्ष में श्रद्धालुओं की भीड़ लग रही। संगम घाट, रपटा घाट सहित सभी नर्मदा घाटों में श्रद्धालु तर्पण देने पहुंचे। संगम घाट महाराजपुर में आसपास जिले के भी श्रद्धालु पहुंचे। अंतिम दिन इनकी संख्या अधिक रही।
संगम में ब्रह्मणों के माध्यम से तर्पण कराने का सिलसिला शाम तक चला। वहीं घरों में श्राद्ध कार्यक्रम किए गए। पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि पितृ विसर्जन अमावस्या गुरुवार को है। माना जाता है कि बृहस्पतिवार को पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है। पंडित शास्त्री के अनुसार जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर अपने पितरों को विदा करता है। उसके पितृ देव उसके घर-परिवार में खुशियां भर देते हैं। जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं, पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम उन्हीं घरों में होते हैं। पितृ विसर्जन अमावस्या की शाम को पितरों को विदा किया जाता है। इसलिए इस अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा गया है। इसका एक नाम सर्वपितृ अमावस्या भी है। यह पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है। हिंदू धर्म में इस दिन का महत्व बहुत अधिक है। मान्यता है कि हर साल पितृ पक्ष आरंभ होने पर सभी पितृ धरती पर आते और पितृपक्ष के अंतिम दिन यानी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वापस अपने लोक चले जाते हैं।

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