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बद्हाल है जिला अस्पताल की व्यवस्था, मरीजों को परिजन खुद स्ट्रेचर पर लेकर जाते हैं

locationमंडलाPublished: Jun 11, 2019 05:32:37 pm

Submitted by:

amaresh singh

चारों ओर फैली हुई है गंदगी

district hospital system is very bad

बद्हाल है जिला अस्पताल की व्यवस्था, मरीजों को परिजन खुद स्ट्रेचर पर लेकर जाते हैं

मंडला। पीने के लिए ठंडा पानी नहीं, वाटर कूलर के चारों ओर फैली गंदगी से उड़ती सड़ांध, उमस और गर्मी में भट्टी की तरह तपते बरामदे और मरीजों को स्टे्रचर पर खुद ही ले जाने को बाध्य परिजन।
अस्पताल प्रबंधन चिकित्सकों और कर्मचारियों पर नियम लागू करने में पूरी तरह से विफल है
यह वास्तविकता है आईएसओ प्रमाणित जिला अस्पताल के नाइट शिफ्ट की। एक ओर जिला अस्पताल में मरीजों को संपूर्ण उपचार के साथ साथ मूलभूत सुविधाएं देने के लिए हाल ही में प्रदेश शासन द्वारा सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। इससे पहले कलेक्टर डॉ जगदीश चंद्र जटिया द्वारा भी स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश दिए गए थे कि जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारी जाएं लेकिन अस्पताल प्रबंधन चिकित्सकों और कर्मचारियों पर नियम लागू करने में पूरी तरह से विफल हो रहा है। इसकी बानगी देखी गई सोमवार की अलसुबह 4 से 5 बजे के बीच। जब पत्रिका टीम ने अस्पताल का लाइव कवरेज किया तो अव्यवस्थाओं का भंडार मिला।

केस-1
प्रसूता वार्ड में वार्ड बॉय ही उपस्थित नहीं है। गंभीर हालत में लाई गई महिला को वार्ड तक पहुंचाने के लिए जब कोई कर्मचारी नहीं मिला तो परिजन खुद ही स्ट्रेचर को ढकेलते हुए वार्ड को रवाना हुए।

केस-2
आधी रात से मरीज और उनके परिजन ठंडे पानी को तरसते रहे। पेयजल के लिए जो वाटर कूलर लगाया गया है उसमें से गर्म पानी निकल रहा था। वाटर कूलर के चारों ओर कई दिनों से सफाई नहीं होने के कारण वहां चारों ओर बदबू और सड़ांध के कारण खड़े होना भी मुश्किल हो रहा था।

केस -3
जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों के परिजनों के लिए रैन बसेरा की व्यवस्था बनाने में असफल अस्पताल प्रबंधन बरामदे में पर्याप्त पंखों की व्यवस्था करने में भी नाकाम रहा। मरीजों के परिजन कल रात में भीषण गर्मी और उमस में बरामदे में करवटे बदलते दिखे।

केस-4
मरीजों के परिजनों को इस बात की जानकारी भी नहीं मिल पा रही थी कि वार्ड में ड्यूटी पर स्टाफ नर्स कौन कौन है क्योंकि सूचना पटल पर मेटरनिटी विंग के नर्सिंंग स्टाफ का पुराना शेड्यूल ही लिखा हुआ था। कई बार मरीजों को दिक्कतें भी होती हैं।
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