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मंडला

बसानिया राघवपुर परियोजना से दर्जनों गांव होंगे विस्थापित

विस्थापन का खतरा एकजुट हो रहे ग्रामीण

मंडलाAug 02, 2021 / 12:45 pm

Mangal Singh Thakur

Dozens of villages will be displaced by Basaniya Raghavpur project

Dozens of villages will be displaced by Basaniya Raghavpur project

मंडला. बरगी बांध निर्माण के बदले विस्थापन का दंश झेल रहे ग्रामीण अब एक बार फिर लामबंद होने लगे हैं और बसनिया गांव के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अगले आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल जिले में बसनिया बांध परियोजना पर काम शुरू होने के लिए शासकीय स्तर पर कवायद शुरू हो चुकी है। यदि यह परियोजना शुरू होती है तो एक बार फिर सैकड़ों ग्रामीण अपनी अपनी जमीन और गांव से विस्थापित होंगे। यही कारण है कि इस बार बसनिया बांध के विरोध में ग्रामीण शुरू से ही लामबंद होने लगे हैं। इनके साथ इस बार राघवपुर बांध परियोजना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण भी शामिल हो गए हैं। गौरतलब है कि राघवपुर बांध परियोजना डिंडोरी जिले में प्रस्तावित है। इन सभी का नेतृत्व किया जा रहा है बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ द्वारा। संघ ने बसनिया-राघवपुर बांध के विरोध में सामाजिक बैठक का आयोजन किया और उसमें ग्रामीणों को एकजुटता बढ़ाने की अपील की।
हो चुके निरस्त
सामाजिक बैठक में बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ पदाधिकारी राजकुमार सिन्हा ने बताया कि 3 मार्च 2016 को विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में लिखित बताया कि बसानिया, राघवपुर, रोसंगा, अपर बुढऩेर, अटरिया, शेर और मछरेवा बांध को नए भू-अर्जन अधिनियम से लागत में वृद्धि होने, अधिक डूब क्षेत्र होने, डूब क्षेत्र में वन भूमि आने से असाध्य होने के कारण निरस्त की गई। दूसरा चिंकी- नरसिंहपुर बांध में अत्यधिक डूब क्षेत्र के कारण इसे उदवहन सिंचाई रूप में निर्मित किया जा रहा है। निरस्त की गई बांधो में से मंडला-डिंडोरी की बसनिया और राघवपुर बांध की कार्ययोजना तैयार कर लिया गया है। इन परियोजनाओ की प्रशासकीय स्वीकृति 1 अप्रेल 2017 को दे दिया गया है। इन बांधो को फिर से शुरू करने के पीछे मुख्य कारण है बसनिया से 100 और राघवपुर से 25 मेगावाट जल विद्युत बनाना। बताया गया है कि इन दोनों परियोजनाओ की लागत 3792.35 करोड़ 79 गांव प्रभावित होगा और 10.943 हैक्टेयर जमीन डूब में आएगा। जिसमें 2107 हैक्टेयर घना जंगल भी शामिल है। इससे हजारों परिवार पुन: विस्थापित होंगे। इसलिए इस परियोजना के विरोध में सभी स्थानीय ग्रामीणों और आसपास के लोगों को एकजुट किया जा रहा है।

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