scriptमंडी चुनाव नही होने से लोकतांत्रिक व्यवस्था का नही हो सका पालन | Due to lack of market elections, the democratic system could not be fo | Patrika News

मंडी चुनाव नही होने से लोकतांत्रिक व्यवस्था का नही हो सका पालन

locationमंडलाPublished: Jun 28, 2022 03:07:30 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

किसानों को योजनाओं की नही मिल पा रही जानकारी

मंडी चुनाव नही होने से लोकतांत्रिक व्यवस्था का नही हो सका पालन

मंडी चुनाव नही होने से लोकतांत्रिक व्यवस्था का नही हो सका पालन

मंडला. लोकतांत्रित व्यवस्था के चलते कृषि मण्डियों में चुनाव कराए जाते हैं ताकि चुने हुए प्रतिनिधि किसानों के हित में बनाई गई योजनाओं का लाभ किसानों को दिला सकें। लेकिन पिछले तीन सालों से मंडी चुनाव नहीं होने से इस लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन नहीं हो पा रहा है। कृषि मंडी में 5 सालों के लिए समिति का निर्वाचन कराया जाता है, इस निर्वाचन में मंडी क्षेत्र किसानो को चुनाव लड़ने का मौका दिया जाता है, ताकि वे किसानों के हित में काम कर सकें। वर्ष 2018 में जिले की सभी मण्डियों में समितियों का कार्यकाल समाप्त हो गया था लेकिन किसी कारणों के चलते आगामी 6 माह के लिए कार्यकाल फिर बढ़ा दिया गया था, लेकिन एक फिर 6 माह बाद भी मंडी चुनाव नहीं कराए जा सके हैं। चूंकि संविधानिक प्रक्रिया के चलते मंडी समिति का कार्यकाल 6-6 माह के लिए अधिकतम दो बार तक बढ़ाया जा सकता है कि जिले में दो बार कार्यकाल बढ़ाने के बाद भी आज तक की स्थिति में चुनाव नहीं कराए जा सके हैं।
नहीं हो रहा नीलामी पद्धति का पालन

मंडी के नियमानुसार किसानों की उपज व्यापारियों को मंडी प्रांगण में नीलामी पद्धति से क्रय किया जाना चाहिए। जिससे किसानों को प्रति स्पर्धा में अधिक मूल्य प्राप्त हो सके लेकिन जिले की तीनों मंडला, नैनपुर और बिछिया मंडी में इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। व्यापारी अपने काउंटर और मंडी शेड में अपने मनमाने रेट से किसानों की उपजों को खरीद रहे हैं। वहीं जानकारी अनुसार कृषि उपज मंडी नैनपुर के प्रांगण में किसानों से खरीदी न करके अपनी दुकानों से किसानों की उपज खरीद रहे हैं जबकि मंडी प्रांगण में ही खरीदी होना चाहिए लेकिन व्यापारियों द्वारा मनमानी की जा रही है। चुनाव नहीं होने पर संबंधित क्षेत्र के एसडीएम को भार साधक अधिकारी बना दिया गया है। जिनको अध्यक्ष एवं मंडी समिति की शक्तियां प्रदान की गई हैं। सूत्रों के अनुसार एसडीएम के पास अपने मूज कार्यों के अलावा संपूर्ण प्रशासनिक व्यवस्था को देखने की जिम्मेदारी होती है जिसके कारण वे अत्यंत व्यस्त रहते हैं। मंडी में जाकर किसानों से चर्चा, किसानों की समस्याओं का निदान आदि के लिए उन्हें समय ही नहीं मिल पाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो