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मंडला

नर्मदा नदी पार कर फूल सागर के जंगलों में पहुंचे हाथी

नर्मदा नदी पार कर फूल सागर के जंगलों में पहुंचे हाथी

मंडलाApr 14, 2020 / 09:06 pm

ajay gupta

Elephants reached the forests of Phool Sagar after crossing the river

नर्मदा नदी पार कर फूल सागर के जंगलों में पहुंचे हाथी

मंडला. सिवनी जिले से मंडला जिले की सीमा में पहुंचे जंगली हाथियों ने नर्मदा नदी पार कर लिया है। सिवनी जिले के जमुनपानी में महुआ बिनते समय एक वृद्ध को कुचल कर उसकी जान लेने वाले दो हाथी मंडला जिले के जंगल में पहुंच गए हैं। सिवनी वन विभाग के अमले ने खदेड़कर मंडला तक पहुंचा है। उन्हें काबू में करने के लिए कान्हा नेशनल पार्क में बाड़ा बनाया गया है। उन्हें बाड़े तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ से प्रदेश में घुसे ये हाथियों ने पिछले 6 माह से सिवनी, नरसिंगपुर, छिंदवाड़ा सहित कई जिलों में जंगलों और फसलों को उजाड़ दिया है।
सोमवार को पश्चिम सामान्य वन मंडल के वनपरिक्षेत्र महराजपुर के वन इलाके के पौड़ी बीट में जंगली हाथियो को देखा गया था। मंगलवार सुबह ये दोनों हाथी ग्राम सूरजपुर के भेशादाह में देखे गए थे फिर ये दोनों हाथी नर्मदा नदी पार करके फूलसागर की ओर आ गए हैं। पश्चिम सामान्य वन मंडल मंडला के परिक्षेत्र मंडला के अंतर्गत बीट फूलसागर में हाथी की मूवमेंट बताया जा रहा है। परिक्षेत्र अधिकारी मंडला के निर्देशों में वन अमला लगातार सर्चिंग में लगा है और हाथी के मूवमेन्ट पर नजर रखा जा रहा है। मंगलवार को पूरे दिन वन विभाग की टीम फूलसागर, ग्वारी व नर्मदा नदी के किनारे-किनारे सर्चिंग करते रहे। लेकिन उन्हें हाथी नहीं दिखा है। हालांकि आसपास के ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों को हाथी की मौजूदगी की जानकारी दी है। वहीं वन कर्मचारियों को मडला रेंज के फूलसागर में आरएफए के प्लांटेशन के आसपास हाथियों के पग मार्ग दिखाई दिए हैं।
लॉक डाउन होने के चलते इन हाथियों को हॉका लगाने और पकडऩे में वन अमले को दिक्कत जा रही है। इस काम में करीब ड़ेढ से दो सो लोगों की जरूरत होती है। लॉक डाउन के चलते अधिक लोगों को कहीं भी इकठ्ठा नहीं किया जा सकता है। उन पर इस बात की भी नजर रखी जा रही है कि वे गांव की तरफ न आएं और गांव वाले उस क्षेत्र में महुआ बिनने न जाएं। पकड़कर उन्हें दी जाएंगी ट्रेनिंग हाथियों को पकड़कर उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद उन्हें वन विभाग वन प्रबंधन और सुरक्षा गश्ती के उपयोग में लिया जाएगा। इसके लिए वह केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति भी ले ली गई है। बताया जाता है कि इन हाथियों को काबू में करने और उन्हें ट्रेनिंग देने में करीब 6 माह का समय लगेगा।

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