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संकट काल में भी शिक्षित युवाओं को नहीं मिल रहा सहारा

locationमंडलाPublished: Dec 01, 2020 12:34:54 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

जिला रोजगार कार्यालय के माध्यम से आठ माह से नहीं लगा शिविर

संकट काल में भी शिक्षित युवाओं को नहीं मिल रहा सहारा

संकट काल में भी शिक्षित युवाओं को नहीं मिल रहा सहारा

मंडला. शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए संचालित रोजगार कार्यालय सिर्फ पंजीयन तक सीमट कर रह गया है। कोरोना के संकट काल में जिले के हजारों युवा बेरोजगार हुए लेकिन इसकी भरपाई अब तक नहीं की गई। ऊपर से प्रति वर्ष लगने वाला रोजगार मेला भी प्रभावित हुआ। इस वर्ष नवंबर का महीना खत्म होने हो है लेकिन अभी तक एक भी रोजगार मेला का आयोजन नहीं किया गया। गौरतलब है कि साल में 5-6 मेले का आयोजन जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है। जिसमें देश की नामी गिरामी कंपनियां आती थीं, सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलता रहा है। ऐसे में कोरोना काल में जिले के हजारों युवा बेरोजगार हुए। ऊपर से जिला प्रशासन का भी रोजगार मेला नहीं लगाया जाना युवाओं को के लिए दोहरी मार के सामान है। जिले में कोई उद्योग या कल कारखाने नहीं हैं, इसलिए भी बेरोजगार युवा इंटरनेट में पैसा कमाने की चाह रख रहे हैं। जिसके चलते उन्हें ठगी का शिकार भी हो रहे हैं।


जिले में बेरोजगार युवाओं की बात करें तो स्किल्ड व अनस्किल्ड मजदूरों की संख्या 40 हजार के आसपास है। देश की विभिन्न कंपनियों में काम करनेवाले स्किल्ड व अनस्किल्ड मजदूर घर लौट कर आ गए हैं। कुछ कंपनियों ने दोबारा काम शुरू किया है। इससे कुछ मजदूर काम पर लौट गए हैं। वहीं शिक्षित बेरोजगार युवाओं की बात करें तो जिले में 10 हजार से अधिक बेरोजगार हैं। लेकिन कोई वेकेंसी नहीं है। वहीं रोजगार कार्यालय में रजिस्टर में पंजीयन की जानकारी भी नहीं रखी जा रही है। विभाग की बेवसाइड अपडेट होने के कारण निश्चित संख्या की जानकारी नहीं मिल पा रही है कि कितनो ने लॉकडाउन के दौरान पंजीयन या नवीनीकरण कराया है। विभाग के अधिकारी भी इस और उदासीन बने हुए हैं।

उम्मीदों में खरा नहीं उतर रहा रोजगार कार्यालय
जिला रोजगार कार्यालय के बेरोजगार कार्यालय कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस कार्यालय में पंजीयन कराने वालों की तुलना में रोजगार मिलना ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। रोजगार कार्यालय बेरोजगारों की उम्मीदों पर खारा नहीं उतर पा रहे है। शिक्षित बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के नाम पर स्थापित किए गए रोजगार कार्यालय का कोई औचत्य नजर नहीं आ रहा है। यहां हजारों बेरोजगारों ने पंजीयन जरूर कराया है, लेकिन इस कार्यालय के माध्यम से 5-7 सालों कुछ बेरोजगार को ही निजी सेक्टर में ही नौकरी मिल पाई है। सरकारी नौकरी की उम्मीद लगाए युवा अब पंजीयन कराने में भी अपना समय व्यर्थ करना समझ रहे हैं।
निजी सेक्टर में बेरोजगार युवक संदीप, सूनीत झारिया, महेश मरावी, दिव्यांशी पटेल आदि का कहना है कि रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। कार्यालय द्वारा सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए मार्गदर्शन शिविर आयोजित किए जाते है। इसी कारण रोजगार कार्यालय को सफेद हाथी की संज्ञा दी जाने लगी है। जिले के युवा रोजगार के लिए चक्कर काटते ही नजर आते है। पंजीयन कराने के बाद भी जिले के नौ जवानों को रोजगार की जानकारी नहीं मिल पा रही है।
कलेक्टर के आदेश पर नहीं पालन
डेढ़ दो माह पूर्व बेरोजगारों को मनेरी औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार दिलाने आदेश दिए थे। लेकिन वह कार्य भी ठंडे बस्ते में चला गया। औद्यागिक क्षेत्र मनेरी में आईटीआई प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाना है। लेकिन वह प्रक्रिया भी आईटीआई, जिला उद्योग एवं व्यापार व जिला रोजगार कार्यालय के बीच में अटका हुआ है। जिससे जिले के प्रशिक्षित युवा भी रोजगार से वंचित हैं।


एसआईएससी कंपनी 70 को दिलाया रोजगार
जिले में एसआईएससी कंपनी के द्वारा सभी विकासखंडो में सुरक्षा गार्ड में भर्ती के लिए शिविर लगाया जा चुका है। जिसमें लगभग 170 युवाओं ने पंजीयन कराया था। जिसमें 70 युवाओं ने ज्वानिंग ले भी ली है। शिक्षित बेरोजगारों की माने तो जिले में कोरोना का खतरा इतना अधिक नहीं है कि रोजगार के लिए शिविर भी नहीं लगाए जा सकें। कोरोना काल में नौकरी छूटने के कारण युवा चार से 8 माह से बेरोजगार बैठे हुए हैं। मैट्रिक, नॉन मैट्रिक, बीए, बीएससी, बीकॉम, डिप्लोमा, कंप्यूटर, आईटीआई आदि क्षेत्र के हजारों बेरोजगार अब शिविर लगने का इंतजार कर रहे हैं।
इनका कहना
विभाग की बेवसाइड अपडेशन के कारण पंजीयन व नवीनीकरण की जानकारी नहीं मिल पा रही है। कोरोना काल के कारण पिछले आठ माह में किसी प्रकार का रोजगार शिविर नहीं लगाया गया है। उच्च अधिकारियों से शिविर लगाने पत्राचार किया जाएगा।
सीएल सैयाम, जिला रोजगार अधिकारी

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