मंडला

महंगी कीटनाशक दवाएं किसानों की पहुंच से दूर

अनुदान पर मिलने वाली कीटनाशक दवाओं में भी परेशानी

मंडलाAug 10, 2019 / 10:51 am

Sawan Singh Thakur

मंडला। मानसून की मार और कीटनाशक दवाओं के बढ़ते दामों ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। वहीं कृषि विभाग में अनुदान पर मिलने वाली कीटनाशक दवाओं को लेने में किसानों का पसीना छूट रहा है क्योंकि अब बिल जमा कर पाना अनिवार्य कर दिया गया है। जानकारी के अभाव से किसान विभाग में दवाओं के बिल जमा नहीं कर पा रहे है और यहां वहां भटक रहे हैं।
शुरूआती बारिश ने किसानों को खुश कर दिया था। बखर मिलने के बाद महंगें दामों में बीज खरीदकर बोवनी कर दी। अब खेतों में फसल आकार लेने लगी है। इसके साथ ही खेतों में चारा भी फसल से ज्यादा दिखाई देने लगा है। कीटनाशक दवाओं के बढ़ते दामों और कृषि विभाग से अनुदान में मिलने वाली कीटनाशक दवाएं किसानों को आर्थिक स्थिति से तोड़ रही है। जिसके कारण किसानों को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है।
बिलों से होने लगा अनुदान का भुगतान
जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 के पहले किसानों को कीटनाशक दवाएं दी जाती थी। उनका बिल कृषि विभाग द्वारा संबंधित कम्पनी और संस्था को दिया जाता था। लेकिन सरकार ने यह योजना बंद करके राष्ट्रीय तिलहन मिशन और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में डीबीटी के माध्यम से शुरू कर दिया है। जिन किसानों द्वारा कीटनाशक दवाओं के बिल लगाए जाएगें। उन्हीं किसानों को भुगतान होगा।
किसानों का कहना है कि पहले जो अनुदान पर मिलने वाली दवाएं आसानी से मिल जाती थी। अब उनमें परेशानी हो गई है। दुकानदारों द्वारा दवाओं के पक्के बिल नहीं मिलने के कारण कृषि विभाग में लगा नहीं पाते है। जिसके कारण अनुदान का लाभ नहीं ले पाते है।

नहीं दी जाती जानकारियां
केंद्र और प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं कृषि से संबंधित योजना की जानकारी किसानों तक पहुंचाने और योजनाओंं लाभ देने के लिए प्रत्येक गांव में ग्राम सेवक से लेकर कृषि विकास अधिकारी को नियुक्त किया गया है। लेकिन यह संबंधित अधिकारी गांव में न जाकर शहर से योजनाओंं की जानकारी ग्रामीणों को देते रहते है। जिसके कारण किसानों को योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
वर्जन
एमपी एग्रो के माध्यम से किसानों को अनुदान पर कीटनाशक दवाओंं के साथ अन्य प्रकार की दवाएं दी जाती थी। लेकिन वह सरकार ने खत्म कर दिया है। लेकिन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत दवाएं आती है जिसे डीबीटी के माध्यम से किसानों के बिलों पर भुगतान किया जाएगा।
एसएस मसराम, सहायक उपसंचालक कृषि विभाग ।

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