सेवा का दुरूपयोग करने पर मामला दर्ज
जानकारी अनुसार हाल ही में सिटी कोतवाली अंतर्गत एक महिला द्वारा डॉयल- 100 में अनावश्यक रूप से बार-बार कॉल की जा रही थी जिस पर संबंधित के विरूद्ध धारा 107, 116 की कार्रवाई की गई है। डॉयल -100 के प्रभारी ने बताया कि रोजाना लगभग 150 से 200 कॉल जिले से भोपाल डॉयल 100 कॉल सेंटर को जा रहे हैं। इनमें कई बार कुछ लोगों द्वारा अनावश्यक रूप से काल किया जाता है या फिर कई बार कॉल कर कॉल अटेंड करने वाले कर्मचारियों से अभद्रता की जाती है। प्रभारी ने बताया कि ऐसे मामलों पर भोपाल स्तर से संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए जाते हैं। इसी तरह की एक मामले में हाल ही में महिला के विरूद्ध कार्रवाई की गई है जिस पर अनावश्यक रूप से बार-बार डॉयल 100 कॉल सेंटर को फोन लगाने का आरोप है।
108 एंबुलेंस में भी पहुंच रहे फेक कॉल
आपातकालीन सेवाओं में शामिल 108 एंबुलेंस सेवा किसी दुर्घटना में घायल मरीज को अस्पताल पहुंचाने, प्रसूता महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं लेकिन इस महत्वपूर्ण सेवा में भी लगे कर्मचारियों को आए दिन फेक कॉल की समस्या से जूझना पड़ रहा है। आमतौर पर कम उम्र के बच्चे ज्यादा इस तरह के कॉल कर रहे हैं क्योंकि मोबाईल में इमरजेंसी सेवा के नंबर आसानी से डॉयल हो जाते हैं और बच्चे कई बार अंजाने में इन नंबरों में फोन कर देते हैं। जानकारी अनुसार जिले से रोजाना करीब 800 से 1000 कॉल तक 108 एंबुलेंस की मदद के लिए कॉल सेंटर को जाते हैं। जिसमें कई बार इस तरह की गलत सूचना के फोन भी किए जाते हैं जिसमें कहा जाता है कि किसी जगह सड़क दुर्घटना में कई लोग घायल हो गए हैं, तो कभी किसी के जहर खाने की फर्जी सूचना 108 एंबुलेस के कॉल सेंटर में दे दी जाती है।
डायल 100 कॉल सेंटर में रोजाना जा रहे 200 कॉल, कुछ लोग करते हैं परेशान
फेक कॉल से परेशान सिर्फ डॉयल 100 सेवा मे लगे कर्मचारी ही नहीं है बल्कि आग लगने पर बचाव के लिए लगाई गई फायर बिग्रेड के कर्मचारियों को भी फेक काल की समस्या से जूझना पड़ रहा है। कॉल सेंटर के कर्मचारियों ने बताया कि विशेष रूप से रात में कई लोग शराब के नशे में फोन लगाते हैं और फोन अटेंड करने वाले कर्मचारियों को अपशब्द कहते हैं। इतना ही नहीं कई बार आग लगने की गलत सूचना तक फोन में दे दी जाती है। चूंकि अपातकालीन नंबर से आग की सूचना मिलने पर मौके पर जाना ही होता है लेकिन कुछ मामलों में मौके पर पहुंचने पर पता चलता है कि आग लगने की फर्जी सूचना दी गई थी लेकिन कई बार ऐसे फर्जी कॉल अटेंड करने और फर्जी सूचना पर मौके पर पहुंचने में वाहन व्यस्त होने से जहां जरूरत हैं। वहां वाहन पहुंचने में विलंब हो जाता है।