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मक्का फसल पर फौजी कीट के हमले से किसान चिंतित

locationमंडलाPublished: Jul 25, 2019 11:41:02 am

Submitted by:

Sawan Singh Thakur

हजारों हेक्टेयर फसल पर गहराया संकट

Farmers concerned over military pest attack on corn crop

मक्का फसल पर फौजी कीट के हमले से किसान चिंतित

मंडला। लगातार एक सप्ताह की बारिश और फिर 15 दिनों की चटक धूप, बेहिसाब गर्मी और उमस ने फसलों के संकट खड़ा कर दिया है क्योंकि इस मौसम में इल्लियां और कीट तेजी से पनप रहे हैं और मक्का फसल के लिए सबसे घातक फौजी कीट का आक्रमण भी शुरु हो चुका है। जिले में लगभग 18 हजार हेक्टेयर पर किसानों ने मक्के की फसल की बुवाई की है। चूंकि मक्का फसल फौजी कीट- फॉल आर्मी वर्म, का सबसे पसंदीदा भोजन है, इसलिए किसानों के रातों की नींद उड़ गई है। फौजी कीट मक्का फसल की पत्तियों को खाते हैं एवं पोंगली को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे पूरी की पूरी फसल ही बर्बाद हो जाती है।किसान कृषि विज्ञान केंद्र के चक्कर लगाना शुरु कर चुके हैं। इस दौरान किसानों की समस्या का त्वरित समाधान एवं प्रबंधन के लिये वैज्ञानिको के दल द्वारा विस्तार से सलाह एवं जानकारी प्रदान की जा रही है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि किसान अपने खेतों में किसी एक भाग मेें वर्षा के पानी को इकटठा करने की व्यवस्था करें जिसका प्रयोग वे वर्षा न होने के दौरान फसलों की उचित समय पर सिचाई के लिये कर सकते हैं।

मौसम को ध्यान मेें रखकर करें रोपाई
कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल जिन किसानों की धान की नर्सरी 20 से 25 दिन हो गई है वे मौसम को ध्यान में रखते हुए धान की रोपाई करें। पंक्ति से पंक्ति से दूरी 20 सेमी व पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखे। उर्वरकों में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटास और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। नील हरित शैवाल एक पेकिट प्रति एकड़ का प्रयोग उन्ही खेतों में करें जहां पानी रहता हो। धान की पौधशाला में यदि पौधों का रंग पीला पड़़ रहा है तो इसमें लोहे का तत्व की कमी हो सकती है। पौधों यदि उपरी पत्तियां पीली और नीचे की हरी हो तो यह लोह तत्व की कमी दर्शाता है। इसके लिये 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट 0.25 प्रतिशत चूने का घोल का छिड़काव आसमान साफ होने पर करेें।
खरीफ की फसलों में आवश्यकतानुसार निंदाई गुड़ाई कर खरपतवारों का नियंत्रण करें। इसमें खरपतवारों क्षरा फसलों को कम हानि होती है। वातावरण में नमी बढऩे से भंडारण गृह में कीटों द्वारा भंडारित अनाज में हानि हो सकती है इसलिये भंडारित अनाज की जांच कर कीट का नजर आये तो सल्फास की 3 गोली प्रतिटन अनाज की दर से प्रयोग करें।

कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. विशाल मेश्राम ने किसानो को प्रभावी नियंत्रण के लिये सलाह दी है उन्होने बताया कि इमामेक्टिन 5 प्रतिशत, एएसजी दवा का 100ग्राम प्रति एकड़ के मान से 150 लीटर पानी में घोलकर मक्का फसल में दवा का छिड़काव किया जाये। खेत मे टी आकार की 8 से 10 खूटियां लगाकर पक्षियों को आश्रय देने की सलाह दी है जिससे पक्षी इल्लियों को खाकर खत्म करेंगें। पहले छिड़काव के 12 से 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव थायोमेथोक्साम 12.6 प्रतिशत लेम्बडासाइहेलोथ्रीन 9.5 प्रतिशत दवा का 40 से 50 मिली लीटर का प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करें। कीटनाशक का छिड़काव खरपतवारनाशी में मिलाकर न करें।
ऐसे करें उपाय
कीट की प्रारंभिक अवस्था में लकड़ी का बुरादा राख एवं बारीक रेत पौधे की पोंगली में डालें। फेरोमेनट्रेप फ्यूजीपरडा 30-35 प्रति हेक्टेयर की दर से बोनी के तुरंत बाद लगवाये जिसमें वयस्क नर कीट आकर्षित होते है। जैविक कीटनाशक के रूप में बीटी 1 कि.ग्रा. या बिबेरिया बेसियाना 1.5 ली. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव सुबह अथवा शाम के समय करें।
नीम बीज अर्क 5 प्रतिशत 5 मि.ली. पानी में मिलाकर 500 से 600 लीटर का घोल प्रति हेक्टेयर दर से उपयोग करें। लगभग 5 प्रतिशत से अधिक प्रकोप होने पर रासायनिक कीटनाशक के रूप में फ्लूबेंडामाइट 480 एस.सी. 150-200 मि.ली. या स्पाइनोसेड 465 इ.सी. 250ग्राम या एमामेक्टिन बंजोएट 5 प्रतिशत एस.सी. 200 ग्राम या थायोडीकार्प 75 डब्लू जी 7 किलो या क्लोरइंट्रेनिलीप्रोल 18.5 एस.सी. 150 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें (पानी के मात्रा 500 से 600 लीटर) दानेदार कीटनाशकों पौधे की पोंगली में जरूर डालें। कीटनाशकों का प्रयोग बदल-बदल करें।15 से 20 दिन अंतराल पर 2-3 छिड़काव करें।
जहर चारा 10 कि.ग्राम चावल की भूसी 2 कि.ग्रा. गुड़ 2-3 लीटर पानी में मिलाकर 24 घंटे के लिये रखे। इसके बाद 100 ग्राम थायोडीकार्ब दवा मिलाकर आधे घंटे बाद मक्का की पोंगली में डाले।

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