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रबी सीजन की बुवाई में पिछड़ रहे किसान

locationमंडलाPublished: Nov 28, 2021 09:10:29 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

खाद उठाव की कमी से प्रभावित होगी बोवनी

Farmers lagging behind in sowing of Rabi season

Farmers lagging behind in sowing of Rabi season

मंडला. दो माह पहले रबी सीजन शुरू हो चुका है। अब जल्द ही रबी के मौसम का तीसरा महीना शुरू हो जाएगा लेकिन अब तक जिले में रबी सीजन की बुवाई पूरी तरह से नहीं हो पाई है। खरीफ की फसल की कटाई में देरी और कई बार बारिश का मौसम बन जाने के कारण धान की कटाई बाधित हुई। जिले में अब तक धान कटाई अब भी जारी है। हालांकि किसानों का कहना है कि धान की कटाई जिले में अंतिम दौर में है लेकिन जब तक कटाई पूरी नहीं हो जाएगी। तब तक रबी की बोवनी जोर नहीं पकड़ेगी। जिले में अब भी रबी की बोवनी से पहले खेत तैयार किए जा रहे हैं। कहीं पर नरवाई जलाई जा रही है तो कहीं खेतों की जुताई की जा रही है। यही कारण है कि रबी की शत प्रतिशत बोवनी पूरी होने में समय लगेगा।
बढ़े रकबे के कारण भी देरी
कृषि विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि वर्ष 2021-22 के लिए रबी फसल की बोवनी का रकबा करीब 25 हजार हेक्टेयर बढ़ गया है। इस वर्ष गेहूं, सरसों, दलहन, तिलहन फसलों की बोवनी अब 168.45 हजार हेक्टेयर भूमि में होगी। उक्त फसलों में चने का सर्वाधिक रकबा बढ़ा है। यह आंकड़ा 7.60 हजार हेक्टेयर बढ़ा है। इसी तरह गेहूं का रकबा 2 हजार हेक्टेयर और सरसों का रकबा करीब 7 हजार हेक्टेयर बढ़ा है। रकबा बढऩे के कारण भी बुवाई का प्रतिशत बढऩे में रुकावट आ रही है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि रबी फसल की बोवनी भी धीरे-धीरे जोर पकडऩे लगी है। जिन किसानों की धान की फसल कट गई है। वे किसान अपने खेतों में जुताई के बाद गेहूं समेत अन्य दलहन, तिलहन फसलों की बोवनी कर रहे है।
कृषि अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, जिले में इस वर्ष 168.45 हजार हेक्टेयर में बोनी का लक्ष्य रखा गया है। गेहूं की बोनी 48 हजार हेक्टेयर, जौ 500 हेक्टेयर, चना 27 हजार हेक्टेयर, मटर 27 हजार 400 हेक्टेयर, मसूर 31 हजार 200 हेक्टेयर में सरसों 25 हजार हेक्टेयर, अलसी 7 हजार 10 हेक्टेयर, गन्ना 2 हजार 700 हेक्टेयर में लगाने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले वर्ष से करीब 25 हजार हेक्टेयर खेती में रबी फसल की बोवनी का लक्ष्य बढ़ा है। वर्ष 2020 में 143.66 हजार हेक्टेयर में बोवनी की गई थी।
डीएपी का उठाव नहीं
जिला विपणन अधिकारी कृष्णराज सिंह परतेती का कहना है कि जिले में डीएपी खाद का स्टॉक सबसे अधिक है। जिले में अभी 1213 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है। सिर्फ मंडला स्थित गोदाम में ही 541 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है। बिछिया में 423 मीट्रिक टन और निवास में 207 मीट्रिक टन खाद उपलब्ध है। सुपर फास्फेट की कुल मात्रा जिले में 57 मीट्रिक टन और पोटाश की उपलब्ध मात्रा 52 मीट्रिक टन है। जिले में किसानों द्वारा सिर्फ यूरिया खाद का ही उठाव किया जा रहा है लेकिन डीएपी खाद का उठाव नहीं किया जा रहा जबकि रबी की बोवनी के दौरान डीएपी खाद की भी आवश्यकता पड़ती है।

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