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कस्बे तक पहुंची नरवाई की आग से हड़कंप

locationमंडलाPublished: May 08, 2019 12:19:29 pm

Submitted by:

amaresh singh

जागरूकता के अभाव में किसान लगा रहे खेतों आग

fire in village People in panic

कस्बे तक पहुंची नरवाई की आग से हड़कंप

मंडला। मंगलवार को बम्हनी बंजर से सटे इलाके में नरवाई की आग घरों तक पहुंच गई। हालांकि आग से किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ ेलेकिन कुछ देर के लिए पूरे क्षेत्र में हड़कंप सा मच गया। इसी तरह से नरवाई जलती रही तो किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। प्रति वर्ष क्षेत्र में गेहूं की फसल कटाई एवं दोहन के बाद किसानों द्वारा खेतों में नरवाई जलाने की प्रक्रिया को बेधड़क अपनाया जा रहा है। कुछ किसान दिन में तो कुछ यह कार्य रात के समय कर रहे हैं। हार्वेस्टर से गेहूं की फसल कटने के किसानों ने खेत की नरवाई में आग लगाना शुरू कर दिया है। कटाई के बाद शेष बची नरवाई को जलाने से एक तरफ जहां जंगल में आग भड़कनें की संभावना रहती है तो दूसरी तरफ खेतों में मौजूद उर्वरक तत्व भी आग के साथ जलकर नष्ट हो जाते है और खेतों की उत्पादन क्षमता पर इसका विपरित प्रभाव पड़ता है। गौरतलब है कि किसानों का यह कृत्य अधिनियम के अंतर्गत वैद्यानिक कार्रवाई के दायरे में भी आता है। इसके बावजूद खेतों में नरवाई के जलने से उड़ता काला धुआं देखा जा सकता है।

नरवाई जलाने से भूमि की आर्थिक उर्वरक क्षमता प्रभावित होती है
नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान कृषि अधिकारियों कहना कि निश्चित ही नरवाई जलाने से खेतों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। नरवाई जलाने से भूमि की आर्थिक उर्वरक क्षमता प्रभावित होती है और भूमि की सतह पर पाए जाने वाले लाभकारी बेक्टीरिया नष्ट होते है। अधिकारियों का कहना है कि नरवाई को जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति के रूप में मौजूद तत्व आग के साथ जलकर भूमि की उर्वरा शक्ति का क्षय हो जाता है। आग के कारण उपजाऊ भूमि पर आग लगने से ऊपरी परत जलकर ईटों के अवशेष की तरह कड़क हो जाती है। किसानों को चाहिए कि वह गहरी जुताई करें जिससें नरवाई भूमि में दबकर खाद का रूप ले लेगी। नतीजन खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए अलग से खाद की अधिक आवश्यकता नहीं रहेगी।

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