जांच में उदासीन रवैया अपना रहा खाद्य विभाग का अमला
भृत्य के भरोसे चल रहा खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग कार्यालय
मंडला
Published: May 19, 2022 02:43:52 pm
मंडला। वर्तमान में भीषण गर्मी पड़ रही है ऐसे में खान-पान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है वहीं दूसरी ओर बाजार में जो खाद्य सामग्री मिल रही है उसमें अधिकांश मिलावट होने के साथ कई खाद्य सामग्रियों एक्सपायरी होने के बाद भी धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। बाजार में सड़ी-गली सब्जियों के साथ सड़े-गले फल बेचे जा रहे हैं। कई पैकेट बंद खाद्य सामग्रियां एक्सपायरी डेट निकलने के बाद भी बाजार में बिक रही है। जिन्हें खाकर लोग बीमार हो रहे हैं, लेकिन ऐसी खाद्य सामग्रियों की समय-समय में जांच करने वाला अमला कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाते दिखाई दे रहा है।
5 में २ पद खाली
जिले में खाद्य सामग्रियों की जांच करने वाले अधिकारियों पर एक, दो नहीं बल्कि तीन-तीन विकासखण्डों का प्रभार होने से वे अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पा रहे हैं। जानकारी अनुसार जिले में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के कुल 5 पद स्वीकृत हैं। जबकि इन 5 पदों में मात्र 3 पदों में सुरक्षा अधिकारी तैनात है। दो पद पिछले कई सालों से खाली ही पड़े हैं। खाद्य सुरक्षा अधिकारी वंदना जैन को निवास, नारायणगंज, बीजाडांडी, वंदना थागले को नैनपुर, बिछिया, घुघरी और गीता टांडेकर का मंडला, मोहगांव और मवई का प्रभार दिया गया है। इसके अलावा जिला अस्पताल परिसर में संचालित खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग कार्यालय में कोई बाबू नहीं है जिससे एक मात्र भृत्य पर पूरे कार्यालय की जिम्मेदारी होती है।
सेम्पल की रिपोर्ट आने में लगता है समय
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा लिए गए खाद्य सामग्रियों के सेम्पल को इंदौर या भोपाल लेब में जांच के लिए भेजा जाता है, जहां से जांच रिपोर्ट ज्यादा से ज्यादा 15 दिनों में मिल जाना चाहिए लेकिन रिपोर्ट आने में एक माह से अधिक का समय लगने से पूरे प्रकरण में कार्यवाही में भी लेटलतीफी हो जाती है। कई बार इन अधिकारियों पर सेम्पल पास फेल करने के नाम पर भारी लेन-देन करने के भी आरोप लगते रहे हैं।
भृत्य पर बाबू की जिम्मेदारी
जिला अस्पताल परिसर में संचालित खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग कार्यालय में तीन खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के साथ एक भृत्य तैनात है जहां इन तीन खाद्य सुरक्षा अधिकारियों वंदना जैन, वंदना थागले और गीता टांडेकर पर तीन-तीन विकासखण्डों की जवाबदारी है जिसके चलते वे अधिकांश समय फील्ड में रहती हैं वहीं दूसरी ओर कार्यालय सिर्फ भृत्य के सहारे संचालित होता है, कार्यालयीन दस्तावेजी काम के लिए कोई बाबू नहीं होने से भृत्य द्वारा ही बाबू की भी जिम्मेदारी निभाई जा रही है लेकिन आने वाले जुलाई 2022 में ये भृत्य भी सेवानिवृत्त होने वाले हैं इसके बाद इस कार्यालय में उनकी अनुपस्थिति में ताला लगने के आसार बन जाएंगे।
ये बर्फ खाने लायक नहीं है
शहर में कुछ बर्फ फैक्ट्री संचालित हैं, जहां से दूषित पानी से बर्फ बनाया जा रहा है, वहीं दूषित पानी से बने बर्फ का उपयोग इस गर्मी में लोग जानकारी के अभाव में खाने-पीने की सामग्रियों में कर रहे हैं। इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है लोग गर्मी में ठण्डे पानी के साथ, आइसक्रीम, लस्सी आदि का उपयोग करते हैं। जहां इन्हीं फैक्ट्रियों में दूषित पानी से बने बर्फ का उपयोग किया जाता है। शहर में ही संचालित ऐसे बर्फ फैक्ट्रियों में साफ-सफाई का अभाव देखा जाता है, मशीनें जंग खा चुकी हैं लेकिन ऐसी फैक्ट्रियों की जांच न होने से ऐसी बर्फ फैक्ट्रियों के संचालकों के हौसले बुलंद हैं। इसी तरह मिठाई दुकानों में बगैर पैकिंग मिठाई में निर्माण तिथि और उसका उपयोग कब तक किया जा सकता है उस तिथि को दिखाती एक पर्ची मिठाई के साथ लगी होना चाहिए लेकिन जिले भर में संचालित कुछ ही दुकानों को छोड़ दें बाकि में सड़क किनारे मिठाईयों का विक्रय किया जा रहा है जिसमें लगातार धूल-मिट्टी जमा होती रहती है और मक्खियां भिनभिनाते रहती है लेकिन ऐसे दुकान संचालकों पर कार्रवाई तो दूर अधिकारी जांच तक के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं।

जांच में उदासीन रवैया अपना रहा खाद्य विभाग का अमला
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
