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पवित्र जल में कचरा फेंकना अपना कर्तव्य समझा
लेकिन इसे नर्मदा भक्तों की आस्थाहीन भक्ति कही जाए या जानबूझकर घाट को गंदा करने का कुत्सित प्रयास कि उन्होंने डस्टबीन के बाजू में और नर्मदा तट के साथ साथ मां नर्मदा के पवित्र जल में कचरा फेंकना अपना कर्तव्य समझा और शाम होते होते पूरा रपटा घाट कचरा घर में तब्दील हो गया।
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सुबह से की थी सफाई
नगरपालिका की सफाई व्यवस्था के कर्मचारियों ने कल सुबह से ही घाट की सफाई करवाकर जगह जगह डस्टबिन और खाली ड्रम रखवाए ताकि मां नर्मदा को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। सफाई कर्मचारी भी नियुक्त किए गए, लेकिन आस्थाहीन भक्तों ने न केवल नगरपालिका के पूरी तैयारियों पर पानी फेर डाला बल्कि जाते जाते मां नर्मदा को भी जमकर प्रदूषित कर गए। रपटा घाट की लंबी-लंबी सीढिय़ों पर, नर्मदा मंदिर परिसर के बाहर, नर्मदा के तट पर, तट पर स्थापित छोटे छोटे शिवलिंगों के चारों ओर इकट्ठा व्यर्थ सामग्री ने पूरे क्षेत्र को कचरा घर सा बना दिया और यह सोचकर नर्मदा भक्त चलते बने कि इस शुभ तिथि पर बहुत सा पुण्य अर्जन कर लौट रहे हैं।
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व्यवस्थाओं को बनाए रखने में सहयोग करना नैतिक जिम्मेदारी
इस संबंध में शहर के समाजसेवियों का कहना है कि जब तक हर व्यक्ति मां नर्मदा की सफाई को बनाए रखने का संकल्प नहीं लेगा और इसमें सहयोग नहीं करेगा, तब तक नर्मदा को प्रदूषण मुक्त नहीं किया जा सकता। समाजसेवी श्याम श्रीवास का कहना है कि यदि हम मां नर्मदा की पूजा करने जा रहे हैं तो वहां की व्यवस्थाओं को बनाए रखने में सहयोग करना भी हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। समाजसेवी नीलेश कटारे का कहना है कि बड़ा दुख होता है ऐसे शुभ अवसरों पर नर्मदा के घाट अव्यवस्थित हो जाते हैं। हर बात की जिम्मेदारी प्रशासन पर सौंपना ठीक नहीं, कम से कम जिस तरह पूजा अर्चना हमारा व्यक्तिगत कर्म है ठीक उसी तरह जहां हम पूजा अर्चना कर वापस घर लौट रहे हैं उस पूजा स्थल स्वच्छ रखें।