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पत्नी की हत्या करने के प्रयास पर पति को सात वर्ष की सजा

locationमंडलाPublished: May 26, 2019 06:58:21 pm

Submitted by:

amaresh singh

पत्नी के ऊपर कुल्हाड़ी से कर दिया था हमला

Husband punishes seven years for attempting to murder wife

पत्नी की हत्या करने के प्रयास पर पति को सात वर्ष की सजा

मंडला। जघन्य एवं सनसनीखेज मामले में डॉ प्रीति श्रीवास्तव चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश मंडला के द्वारा आरोपी भगवान सिंह बैगा को अपनी पत्नी की हत्या करने के प्रयास के मामले में दोषी मानते हुए उसे 7 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डित किया गया है। प्रकरण के संबंध में जिला अभियोजन अधिकारी अरूण कुमार मिश्रा द्वारा बताया कि ग्राम परतला, थाना टिकरिया, जिला मंडला की निवासी भागवती बाई 8 अक्टूबर 2016 एवं 9 अक्टूबर की बीच की रात में 3 बजे अपने घर से बाहर निस्तार करने बैठी थी। तभी अचानक उसका पति भगवान सिंह कुल्हाड़ी लेकर आया और जान से मारने की नीयत से कुल्हाड़ी मार दी। जो भागवती के कंधे और हाथ में लगी। कुल्हाड़ी की चोट से भागवती का बायां हाथ कट कर लटक गया। भागवती के चिल्लाने पर उसके ससुर रामप्रसाद बैगा, सास बेला बाई बैगा ने आकर बीच बचाव किया तथा उसे लेकर नारायणगंज अस्तपाल में भर्ती कराया। हालत गंभीर होने से नारायगणगंज अस्पताल के डॉक्टर के द्वारा अग्रिम उपचार के लिए भागवती को जिला चिकित्सालय मंडला रेफर किया गया। मंडला में गंभीर हालत में भर्ती होने पर अस्पताल की पुलिस चौकी से थाना टिकरिया को दूरभाष पर सूचना दी गई। थाना टिकरिया से उपनिरीक्षक आदेश जैन द्वारा जिला चिकित्सालय मंडला में भागवती बैगा के ससुर रामप्रसार बैगा के बताए अनुसार घटना की रिपोर्ट दर्ज करते हुए प्रकरण में विवेचना कार्रवाई तत्काल प्रारंभ की गई। अभियुक्त भगवानदास बैगा को जिला चिकित्सालय मंडला में पुलिस द्वारा अभिरक्षा में लेकर उससे पूछताछ की गई, तब अभियुक्त द्वारा यह बताया गया किए अपने पत्नि पर शंका करने के कारण कुल्हाड़ी से उसे मारा है। घटना में प्रयुक्त खून लगी हुई कुल्हाड़ी अभियुक्त के पेश करने पर उसके घर से पुलिस द्वारा जप्त की गई।
विवेचना कार्रवाई के दौरान साक्षियों के कथन एवं वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त भगवानदास पिता रामप्रसाद बैगा उम्र 30 वर्ष निवासी ग्राम परतला के विरूद्ध भादवि की धारा 307 का अपराध प्रमाणित पाए जाने पर उसके विरूद्ध अभियोगपत्र न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी निवास रविन्द्र कुमार धुर्वे के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जहां से उक्त प्रकरण अंतरित होकर विचारण के लिए चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश मंडला के न्यायालय में प्राप्त हुआ। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य को विश्वसनीय मानते हुए न्यायालय द्वारा 24 मई को निर्णय पारित करते हुए अभियुक्त भगवानदास को धारा 307 के अपराध में दोषी मानते हुए उसे 7 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2000 रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।

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