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कयासों का दौर, वोटों की बारिश में मतदाता ने दिया हाथ का साथ या फिर खिलेगा कमल

locationमंडलाPublished: May 01, 2019 12:07:34 pm

Submitted by:

Sawan Singh Thakur

77.45 फीसदी मतदान यानि बदलेंगे कई समीकरण लोकतंत्र पर बढ़ा मतदाताओं का भरोसा

In the rainy season, in the rain of votes, the voter has given the hand or with the lotus

कयासों का दौर, वोटों की बारिश में मतदाता ने दिया हाथ का साथ या फिर खिलेगा कमल

मंडला। 29 अप्रैल 2019 को मंडला संसदीय क्षेत्र में मतदान का जो प्रतिशत बना वह इस संसदीय क्षेत्र के लगभग 60 दशकों के इतिहास में कभी नहीं बना। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए इस संसदीय क्षेत्र के आठों विधानसभा क्षेत्रों में रिकार्ड तोड़ मतदान हुए और मतदान का आंकड़ा 77.45 फीसदी तक जा पहुंचा जो इस भीषण गर्मी में अकल्पनीय समझा जा रहा था। आसमान से आग सी बरसती धूप में झुलसता मतदाता मतदान केंद्र के बाहर तब तक खड़ा रहा जब तक उसने अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर लिया। यही कारण है कि इस संसदीय क्षेत्र की 19 लाख 49 हजार 412 मतदाताओं में से 15 लाख 9 हजार मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया और लोकतंत्र के महापर्व में अपनी सहभागिता दर्ज कराई।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में 65.44 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। यानि इस वर्ष मतदान ेमें पूरे 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
उपलब्ध आंकड़ों पर यदि गौर किया जाए तो मंडला संसदीय क्षेत्र में वर्ष 1962 से 2019 तक 14 लोकसभा चुनाव कराए जा चुके हैं। इनमें से किसी भी लोकसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत वर्ष 2019 के मतदान के आंकड़े को छू भी न सका। वर्ष 1962 से अभी तक संसदीय क्षेत्र में जितने भी लोकसभा चुनाव आयोजित हुए उनमें वर्ष 1996 के चुनावों में 62.30 प्रतिशत मतदान हुआ और वर्ष 1998 में 60.88 प्रतिशत।
1996 में भी बना था एक रिकार्ड
यदि वर्ष 1962 से वर्ष 2019 के बीच हुए लोकसभा चुनावों की तुलना की जाए तो वर्ष 1996 में भी मतदान के दौरान इस संसदीय क्षेत्र में एक रिकार्ड बना था और वह था 30 फीसदी अधिक मतदान। जी हां, भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 1991 में मंडला संसदीय क्षेत्र का मतदाता लोकतंत्र से इस कदर खफा था कि महज 32.93 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मत का उपयोग किया लेकिन इसके बाद पांच सालों के दौरान अपने मताधिकार के प्रति जागरुकता की ऐसी लहर चली इस संसदीय क्षेत्र में कि पांच वर्ष बाद वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र की 62.30 प्रतिशत जनता ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। लेकिन आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इसके बाद लोकसभा चुनावों में मतदान का प्रतिशत गिरता ही रहा और लोगों में अपने मताधिकार के प्रति मानो एक निराशा घर कर गई।
फैक्ट फाइल:
वर्ष मतदान का प्रतिशत
1962 29.80
1967 35.02
1971 24.75
1977 39.24
1980 37.93
1984 49.54
1989 46.07
1991 32.93
1996 62.30
1998 60.88
1999 49.35
2004 53.72
2009 56.25
2014 65.44
2019 77.45

हर के मायने अलग
यदि राजनीति के जानकारों की बात की जाए तो उनका कहना है कि जब जब मतदान का प्रतिशत बढ़ता है तब तब वह विपक्ष के पक्ष में जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण वर्ष 1991 और वर्ष 1996 के चुनावों में देखा जा सकता है। वर्ष 1991 तक मंडला संसदीय क्षेत्र में गहरे तक पैठ जमाई कांग्रेस से जनता इस कदर नाराज रही कि वह वोटिंग के लिए अपने घरों से भी नहीं निकली। लेकिन वर्ष 1996 में उन्हें भाजपा मे एक विकल्प नजर आया तो मानो जनता वोट करने के लिए टूट पड़ी और मतदान पिछले चुनाव की अपेक्षा 30 फीसद अधिक हुआ। नतीजा भाजपा की सफल शुरुआत के रूप में सामने आया।
इस विधानसभा चुनाव वर्ष 2019 में भी यही फलसफा सही साबित हुआ जब मंडला जिले की विधानसभा क्षेत्रों में पिछले चुनाव की तुलना अधिक मतदान हुआ और वह सीधा सीधा विपक्ष के लिए फायदेमंद साबित हुआ।
दूसरी ओर सत्ता पक्ष के जानकारों की बात की जाए तो उनका कहना है कि पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार पूरा तंत्र लोगों को मतदान के लिए जागरुक करने में लगा रहा। दूसरा कारण कि सोशल मीडिया ने कहीं न कहीं मतदाताओं को अपने मत के महत्व के बारे में जागरुक किया है और तीसरा कारण कि आज की जनता पहले की तुलना में कहीं ज्यादा जागरुक है। यही सब कारण है कि वोटिंग का परसेंट बढ़ा है।
वर्जन:
मेरा अनुभव और अभी तक का पार्टी सर्वे के अनुसार, वोटिंग प्रतिशत का बढऩा सीधे सीधे कांग्रेस के पक्ष में जाएगा। मतदाताओं में कांग्रेस के प्रति भरोसा बहुत बढ़ा है।
संजय सिंह परिहार, जिलाध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी, मंडला।

जब जब वोटिंग का प्रतिशत बढ़ा वह भाजपा के समर्थन में ही किया गया। इस बार भी मतदाताओं ने भाजपा की नीति पर भरोसा करते हुए पक्ष में वोट किया है। भाजपा अब भी मतदाताओं की पहली पसंद है।
रतन ठाकुर, जिलाध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी, मंडला।

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