scriptसैकड़ों शिक्षकों की कमी से शासकीय विद्यालयों में अध्ययन कार्य बाधित | Lack of hundreds of teachers disrupted study work in government school | Patrika News

सैकड़ों शिक्षकों की कमी से शासकीय विद्यालयों में अध्ययन कार्य बाधित

locationमंडलाPublished: Sep 01, 2021 10:26:18 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

स्कूलों के खुलने के बाद प्रबंधन के लिए आसान नहीं समस्या से निपटना

Lack of hundreds of teachers disrupted study work in government school

Lack of hundreds of teachers disrupted study work in government school

मंडला. स्कूल शिक्षा विभाग ने 1 सितंबर 2021 से सप्ताह के सभी कार्य दिवसों में कक्षा 6 से 12 वीं तक की कक्षाओं के संचालन की अनुमति जारी कर दी है। सभी कक्षाओं के लिए 50 प्रतिशत क्षमता के साथ विद्यालय संचालन की अनुमति दी गई है। गौरतलब है कि पहले ही 23 जुलाई से कक्षा 9 से 12वीं तक की कक्षाओं का संचालन शुरू हो चुका है। हालांकि उस दौरान प्रति कक्षा सप्ताह में महज दो दिनों के लिए संचालित करने के निर्देश जारी किए गए, उस समय भी 50 प्रतिशत क्षमता की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया था। लेकिन शिक्षा विभाग के समक्ष जो प्रश्न है, उसके निराकरण के लिए विभागीय अधिकारियों के पास कोई विकल्प नहीं है और न ही कोई समाधान। दरअसल जिले में हजारों शिक्षकों की कमी है। चाहे प्राथमिक विद्यालय हों या माध्यमिक, हाई स्कूल हों या हायर सेकंडरी स्कूल। इन सभी में शिक्षकों की जबर्दस्त कमी बनी हुई है। यही वजह है कि जिले के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में अब भी बच्चे शिक्षा की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए हैं। यही कारण है कि शिक्षा से ग्रामीण बच्चों को जोडऩे के लिए शासन की ओर से जो भी अभियान चलाए जा रहे हैं वे आधे अधूरे में ही दम तोड़ रहे हैं।
1.69 लाख बच्चे, 3500 शिक्षकों की कमी
शिक्षा विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि जिले में शासकीय विद्यालयो में पढऩे वाले बच्चों की संख्या लगभग 1 लाख 69 हजार है। इनमें वे सभी विद्यार्थी शामिल हैं जो शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी विद्यालयों में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। जिले में कुल 2921 शासकीय विद्यालय हंै। आदिवासी विकास विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि जिले के शासकीय स्कूलों में कुल 3500 शिक्षकों की कमी है। इतना ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि औसतन प्रत्येक स्कूल में शिक्षकों की कमी है ऐसे में उपलब्ध शिक्षकों को क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को एक साथ पढ़ाना पढ़ रहा है। ताकि सभी विद्यार्थियों को अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। चूंकि अब कोरोना की गाइड लाइन के साथ 50 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है ऐसे में यक्षप्रश्न यह है कि निर्धारित संख्या से भी कम शिक्षक कितनी पालियों में बच्चों को पढ़ा पाएंगे?
प्राचार्य भी नहीं
आदिवासी बहुल्य जिले के शासकीय स्कूलों की एक और विडंबना यह है कि जिले में प्राचार्य भी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं है। विभागीय आंकड़े बता रहे हैं कि जिले में प्राचार्य के 170 पद रिक्त पड़े हैं। यानि 170 विद्यालयों में प्राचार्य नहीं हैं। वहां उपलब्ध शिक्षकों को प्राचार्य का प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन के दायित्व के निर्वहन में या तो बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है या बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दिया जाए तो स्कूल प्रबंधन के अभाव में व्यवस्था लचर हो रही हैं। अंतत: इसका खामियाजा बच्चों को ही भुगतना पड़ रहा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो