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उद्योग जगत पर भी पड़ी लॉकडाउन की मार

locationमंडलाPublished: May 14, 2021 12:40:12 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

मांग और मजदूर की कमी झेल रहे उद्योगपति

Lockdown hit industry too

Lockdown hit industry too

मंडला. 8 अप्रैल की शाम 6 बजे से जिले में लॉकडाउन लागू किया गया है। हालांकि शुरूआती चरण में पहले यह बेहद सीमित रूप से लागू किया गया और शहरी क्षेत्रों में ही सख्ती बरती गई लेकिन कोरोना संक्रमण की बढ़ती भयावहता के साथ लॉकडाउन का स्वरूप सख्त होता गया और इसे शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण इलाकोंं में भी लागू किया गया। इस पर भी जब कोविड 19 की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा होता रहा तो पिछले 15 दिनों से कोरोना कफ्र्यू का स्वरूप बेहद सख्त कर दिया गया है। अब जिले के हर हिस्से में दिन के 24 घंटे कोरोना कफ्र्यू लागू है और कहीं भी न ही बेवजह आवागमन की कोई छूट है और न ही व्यापारिक प्रतिष्ठानों को खोले जाने की अनुमति है। यही वजह है कि पिछले 15 दिनों के लॉकडाउन की सख्ती का असर उद्योग जगत पर भी तेजी से पड़ रहा है। अति आवश्यक सेवाओं जैसे दूध, फल, दवा और सब्जी के साथ चिन्हित किराना दुकानों के अलावा पूरा बाजार बंंद होने के कारण सामग्रियों की मांग में जबर्दस्त कमी आई है। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ा है।
सिर्फ सीमित उत्पादन
मनेरी स्थित नेचुरल प्राइवेट लिमिटेड के संचालक का कहना है कि वे कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट उत्पादन करते हैं। इसमें हेयर आइल, पेस्ट आदि शामिल हैं। पूरा बाजार बंद होने के कारण मांग जबर्दस्त तरीके से प्रभावित हुई है। हालांकि ये रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं में शामिल हैं और मांग अभी भी बनी हुई है लेकिन बेहद सीमित। हर कंपनी की तरह उनकी कंपनी भी भरपूर स्टॉक रखती है। फिलहाल उपलब्ध स्टॉक को खपाना बड़ी चुनौती बन गई है। यदि इसे न खपाया गया तो आगे नुकसान होगा क्योंकि किसी भी उत्पादन इकाई के लिए 15 दिनों तक माल को डंप रखना भी नुकसानदायक होता है। इसीलिए फिलहाल उत्पादन को कम कर दिया गया है।
प्रोडक्ट तैयार, मांग बाधित
सन पैक लिमिटेड के संचालक ने बताया कि वे प्लास्टिक बॉटल का उत्पादन करते हैं। अधिकांश काम मशीनों के जरिए होता है लेकिन गर्मी के मौसम में ही माल की सबसे अधिक मांग होती है। लॉकडाउन के कारण सब कुछ बंद है। अति आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं होने के कारण इनसे संबंधित एक भी दुकानें नहीं खुल रही हैं। जिन्होंने माल बुक किया था। फिलहाल उन्होंने ने भी सप्लाई रोकने के लिए कह दिया है। ऐसे में उत्पादन जमकर प्रभावित हुआ है।
काम बंद, पर पगार जारी
जिला मुख्यालय स्थित बेकरी प्रोडक्शन कंपनी के संचालक ने बताया कि वे नमकीन और बेकरी सामग्रियों का निर्माण करते हैं। कोरोना संक्रमण के कारण लोगों ने बाहर की बनी खाद्य सामग्रियों के सेवन को पूरी तरह से बंद कर दिया है। ऐसे में उनका व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। जो खर्च लगे रहते हैं वे तो पहले की तरह बने हुए हैं। किसी भी कर्मचारी को काम से अलग तो नहीं किया जा सकता। भले उत्पादन नहीं हो रहा लेकिन कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करना पड़ रहा है। यदि उन्हें काम से अलग किया जाएगा तो प्रतिस्पर्धी उन्हें हायर कर लेंगे। यही कारण है कि उत्पादन इकाइयां बंद होने के बावजूद कर्मचारियों को भुगतान किया जा रहा है।
उत्पादन कंपनियों की मांग
* लगभग सभी उत्पादन इकाइयां बैंक से लोन लेकर अपना काम जारी रखे हुए हैं। कोरोना संकट के दौरान भी किस्तों के भुगतान के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जो ठीक नहीं है। इसके लिए शासन स्तर पर कार्रवाई आवश्यक है।
* बिजली बिल के भारी भरकम राशि से सभी उत्पादन इकाइयां परेशान हैं। प्रति माह लाखों रुपयों का बिल जारी किया जा रहा है जबकि उत्पादन इकाइयों की अधिकांश मशीने बंद हैं। ऐसे में बिजली खपत कम होने के बावजूद पहले की ही तरह बिजली बिल थमाया जा रहा है। जो सरासर गलत है। इस पर शासन स्तर पर रोक लगाई जा सकती है।
* आवागमन के साधनों पर रोक लगाए जाने के कारण जो दिहाड़ी मजदूर दूर गांव से उत्पादन इकाइयों में पहुंचते हैं। उनके आने जाने पर भी रोक लगा दी गई है। इससे बेरोजगारी और बढ़ रही है। शासन स्तर पर इस पर विचार किया जाना आवश्यक है।

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