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जर्जर हाइवे से टूटा जिले का बाजार

locationमंडलाPublished: May 17, 2019 12:11:10 pm

Submitted by:

Vikhyaat Mandal

चार सालों में नहीं बन पाया हाइवे, छा रही बाजार में मंदी

Market of broken district with shabby highway

Market of broken district with shabby highway

मंडला। जबलपुर-मंडला हाइवे पिछले चार वर्षों से निर्माणाधीन है। धूल, गिट्टी, मुरम और मिट्टी से भरे हाइवे पर भारी वाहन और यात्री बस ही नहीं, छोटे चौपहिया और दोपहिया वाहनों को चलाना भी चालकों को भारी पड़ रहा है। यही कारण है कि मंडला-जबलपुर के बीच 95 किमी. का जो सफर पहले तीन घंटों में पूरा होता था अब वह 4.30 से 5.00 घंटों में पूरा हो रहा है। धूल गिट्टी से भरे मार्ग से व्यापारियों को बाजार की सामग्री के परिवहन में भी बेहद परेशानी हो रही है क्योंकि आए दिन कोई न कोई भारी वाहन हाइवे पर फंस जाता है और फिर शुरु होता है जाम का सिलसिला जो कई बार छह-सात घंटे तक अनवरत जारी रहता है। यही कारण है कि पिछले चार वर्षों में जिले का पूरा बाजार धीरे धीरे मंदा पड़ चुका है और अब व्यापारियों के दुकानों की रौनक तक जा चुकी है।
जिले के बाजार का अधिकांश हिस्सा जबलपुर के बाजार पर निर्भर है। चाहे जिले के बड़े व्यापारी हों या छोटे, वे खरीदी के लिए जिले के सबसे नजदीक के जबलपुर के बाजार से ही खरीदी करते आ रहे हैं। आने जाने के लिए एकमात्र विकल्प मंडला-जबलपुर हाइवे है। यही कारण है कि जर्जर हाइवे ने जिले के व्यापारियों की कमर तोड़ दी है और व्यापार चौपट कर दिया है।
टूट फूट बढऩे से बढ़ा नुकसान
दरअसल तीन घंटे का सफर होने के कारण मंडला के ज्यादातर व्यापारी ट्रांसपोर्ट का उपयोग केवल भारी सामग्रियों के परिवहन के लिए करते रहे हैं। जिन व्यापारिक सामान को बस अथवा चौपहिया, दोपहिया वाहनों में लाया ले जाया जा सकता है, वे उसे मंडला-जबलपुर अपने साथ ही लाते ले जाते रहे हैं। इसी आवागमन पर जिले का पूरा बाजार टिका हुआ है। व्यापारियों का कहना है कि व्यापार का यह तरीका अभी से नहीं, तब से चला आ रहा है जब से उन्होंने होश संभाला है।
व्यापारी मनीष चौरसिया बताते हैं कि अब मंडला-जबलपुर मार्ग से सामग्री लाने ले जाने में न केवल सामान में टूट फूट बढ़ी है बल्कि वाहनों में भी नुकसान होता है, यही कारण है कि लागत कई गुना बढ़ गई है, ऐसे में व्यापार चौपट हो रहा है।
सबसे आसान था, अब सबसे मुश्किल
मंडला-जबलपुर हाइवे का नया निर्माण शुरु होने से पहले जिले के व्यापारियों के लिए जबलपुर से खरीदी सबसे सस्ती और सुगम थी यही कारण है कि जिले का बाजार तेजी से पनप रहा था लेकिन इस हाइवे के निर्माण की मंथर गति ने जिले के व्यापार को पूरी तरह से चौपट कर दिया। व्यापारी अमित अग्रवाल बताते हैं कि जिले के व्यापारी स्वयं जबलपुर मंडी में जाकर अपनी पसंद के व्यापारिक सामान चुनते हैं और उनकी खरीदी कर शाम तक वापस आ जाते हैं। इसके लिए साप्ताहिक बंद का दिन शुक्रवार निर्धारित है। जिले के अधिकांश व्यापारी इसी दिन अपनी खरीदी कर अगले दिन अपना स्टॉक मेंटेन कर लेते थे। प्रति सप्ताह की खरीदी के कारण एक ओर उन पर कर्ज का बोझ नहीं बढ़ता था, दूसरी ओर दुकान में माल हर सप्ताह भरता था। लेकिन अब तो बाहर की मंडियों से माल बुलवाना पड़ रहा है, इससे अधिक तादाद मेंं माल बुलवाना पड़ता है, खरीदी की रकम चुकाने में घर की पूंजी जाम हो रही है, और स्टॉक भी अधिक दिनों तक रखने के कारण व्यवस्था बनाए रखने में भी अधिक खर्च हो रहा है। अधिक स्टॉक का माल कब तक बिकेगा, और नया माल कब तक आ पाएगा यह निर्धारित नहीं रहा, क्योंकि बड़ी मंडियों से खरीदी करना आसान नहीं है यानि व्यापारी पर चौतरफा मार पड़ रही है, यही कारण है कि जिले के व्यापार चौपट हुआ जा रहा है।

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