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पलायन शुरू, प्रशासन नहीं रख रहा नजर

locationमंडलाPublished: Sep 27, 2020 10:11:36 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

नहीं दी जा रही पलायन करने वाले मजूदरों की जानकारी

पलायन शुरू, प्रशासन नहीं रख रहा नजर

पलायन शुरू, प्रशासन नहीं रख रहा नजर

मंडला. बस सेवा श्ुारू होने का लाभ बिचौलियों को मिलने लगा है। पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या बढऩे लगी है। लॉकडाउन की विषम परिस्थति से जूझने के बाद घर लौटे श्रमिकों को आर्थिक परेशानियों से निपटना पड़ रहा है। ऐसे में श्रमिक पलायन करने को मजबूर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि मजदूरी समाप्त होने के बाद भूमिहीन परिवार पलायन कर रहे हैं। कुछ दिनो बाद धान की कटाई शुरू हो जाएगी। खेती का काम होने के बाद पलायन करने वालों की तादाद और बढ़ेगी।
कलेक्टर ने सभी जनपद सीईओ को अपने-अपने अधीनस्थ पंचायतों में पलायन रजिस्टर तैयार कराने का निर्देश दिया था, लेकिन इसका पालन अधिकांश पंचायतों में नहीं हो रहा है। अब तक चार हजार से अधिक श्रमिक विभिन्न राज्य पलायन कर चुके हैं। पलायन का नजारा जिला मुख्यालय स्थित बस स्टैंड में असानी से देखा जा सकता है। रात को नागपुर के लिए लगने वाली बसों में मजूदरों की संख्या अधिक नजर आ रही है। पिछली रात्रि चाबी मोहगांव क्षेत्र से तीन दर्जन मजदूर नागपुर के लिए रवाना हुए। जिसमें युवाओं की संख्या अधिक थी।
लौटे थे 40 हजार से अधिक
लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने के चलते अन्य प्रांतों में फंसे मजूदरों के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न होने लगा था। जिसके चलते मजदूर अपने परिवार के सदस्यों का पेट भरने जैसे तैसे सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके गांव वापस लौटे। लगातार मजदूरों की समस्याओं को देख राज्य शासन द्वारा अन्य प्रांतों में फंसे मजूदरों को सुरक्षित घर तक पहुंचाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर वापस लाया गया। सरकारी ऑकड़ों के अनुसार, जिले में 40 हजार 845 श्रमिक विभिन्न राज्यों से यहां लौटे हैं। साथ ही मजदूरों के लौटने के बाद उन्हें गांव में रोजगार उपलब्ध कराए जाने का दावा भी किया जा रहा है, मगर समय के साथ ही साथ परिस्थिति बदलने लगी। अब रोजगार व आर्थिक संकट से जूझ रहे भूमिहीन मजूदर फिर से पलायन करने को मजबूर हैं।
मुश्किल से कटा बारिश का समय
चाबी के मजदूर लखन मरावी, भुपत धुर्वे, महेश, शत्रुघन सैयाम आदि ने बताया कि जिले में मनरेगा में पर्याप्त काम नहीं मिलने के कारण शहर काम में जा रहे हैं। बरसात के चलते गांव में मनरेगा के हत काम भी नहीं चल रहे हैं। इसके चलते मजदूरों को पलायन करना पड़ता है। कटाई में हर्वेस्टर, गहानी के लिए थ्रेसर आदि का उपयोग होने से अब खेती में भी काम नहीं मिलना है। अगर कुछ दिन काम मिलेगा भी तो पर्याप्त पैसे नहीं मिलते है। वहीं शहर में 300 से 500 रुपए प्रतिदिन कमा सकते हैं। महिने में कम से कम 25 दिन काम मिल ही जाता है। जिले के मजदूर जबलपुर, नागपुर, मुबंई, केरल अधिक पलायन करते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि अन्य राज्यों से लेबर सरदार बिचौलियों के माध्यम पहले गांव आते हैं और यहां मजदूरों को अधिक मजदूरी देने का लालच और बस किराया देकर तैयार करते हैं। बस किराया पहले तो ठेकेदार ही देते हैं बाद में इसकी वसूली मजदूरों से काम लेकर की जाती है। बिचौलियों को थाने व पंचायत में सूचना देना अनिवार्य किया गया है। इसके बाद भी चोरी छिपे मजदूरों को ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। मजदूरों को पलायन कराने के लिए गांव-गांव में लेबर सरदार सक्रिय हैं। इन्हें इसके बदले अच्छा खासा कमीशन मिल जाता है। इसकी लालच में वे मजदूरों को किसी भी प्रदेश में ले जाते हैं और उनकी मेहनत की कमाई का मोटा हिस्सा सरदारों को मिल जाता है। इसके कारण कई स्थानीय लोग भी यह काम करने लगे हैं। यहां तक कि अब श्रम विभाग से अनुमति भी नहीं ली जा रही है।
श्रमिक पंजीयन कर निभा दी औपचारिकता
लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूर घर वापस लौटे। हालांकि जिला प्रशासन के निर्देश पर श्रमिकों का पंजीयन कर उन्हें एक, दो माह नि:शुल्क राशन का वितरण किया गया। मगर माह गुजरने के साथ ही शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से अब उन्हें राशन का वितरण भी नि:शुल्क नहीं किया जा रहा है। हालांकि 36 हजार श्रमिक व अन्य परिवारों को नये राशन कार्ड बनाकर पात्रता पर्जी दी गई है। जिससे उन्हें अब राशन मिल सकेगा। जिला प्रशासन द्वारा श्रमिकों के हुनर के अनुरूप रोजगार दिलाने के उद्देश्य से रोजगार संबंधी परामर्श देने, श्रमिकों को जिले के स्थानीय उद्योगों से जोडऩे एवं आवश्यकतानुसार ऑन-द-स्पॉट रोजगार उपलब्ध कराने श्रमिक रोजगार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में जिले के सभी विकासखंडों से लगभग सैकड़ों श्रमिकों का स्किल मैपिंग एवं रोजगार से जोडऩे काउंसलिंग की गई। निर्धारित प्रारूप में प्रवासी मजदूरों से जानकारी ली गई। लेकिन श्रम विभाग, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र, लीड बैंक, कृषि, मत्स्य, पशुपालन विभाग द्वारा शासन के द्वारा संचालित रोजगार मूलक योजनाओं की जानकारी देकर ही औपचारिकता निभाई जा रही है।


वर्जन:
* मजदूर स्वयं की इच्छा से जा रहे हैं तो उन्हें रोका नहीं जा सकता है। अगर कोई ठेेकेदार के माध्यम से ले जाया जा रहा है तो इसकी सूचना श्रमविभाग में देनी होती है। जिससे वहां के श्रम विभाग के अधिकारी श्रमिकों की सुरक्षा व सुविधा पर ध्यान दे सकते हैं। अब तक एक ही अनुमति ली गई है।
जितेंद्र मेश्राम, जिला श्रम अधिकारी

* प्रदेश की मौजूदा सरकार स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया नहीं करा पा रही है। जिसके चलते मंडला, डिंडोरी सहित आदिवासी बहुल्य क्षेत्र के मजदूर पलायन को मजबूर हैं। मनरेगा में भी काम नहीं मिल रहा है। प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कांग्रेस ने मुदï्दा उठाया था। पलायन नहीं रूकता है तो एक फिर कांग्रेस मजदूरों के हित में लड़ाई लड़ेगी।
संजय सिंह परिहार, प्रदेश सचिव, कांग्रेस कमेटी

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