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कुपोषित बच्चे को एनआरसी नहीं अस्पताल लेकर पहुंची मां

locationमंडलाPublished: May 18, 2019 08:05:51 pm

Submitted by:

Sawan Singh Thakur

मैदानी अमले की लापरवाही से बढ़ा कुपोषण, ग्रामीणों को नहीं है एनआरसी की जानकारी

Mother brought malnourished child to NRC hospital

कुपोषित बच्चे को एनआरसी नहीं अस्पताल लेकर पहुंची मां

मंडला। जिले में हजारों बच्चे कुपोषण की गिरफ्त में हैं लेकिन उनके माता पिता को इस बात की जानकारी ही नहीं कि बच्चे का इलाज कहां कराया जाए क्योंकि महिला बाल विकास विभाग का मैदानी अमला देहातों में कुपोषण और इसके इलाज के बारे में जानकारी देेने में पूरी तरह से फेल हो रहा है। सारी खाना पूर्ति घर बैठे कागजों में हो रही है और विभागीय अधिकारी कर्मचारी भी दौरे पर जाकर वास्तविकता का पता लगाने के बजाय कागजों में कुपोषण को नियंत्रित करने में अधिक रुचि ले रहे हैं। यही कारण है कि जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 15 हजार 368 है और कुपोषण से जूझते बच्चे को माएं अस्पताल लेकर पहुंच रही हैं, वहां उन्हें बताया जा रहा है कि बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराएं ताकि बच्चे और उसकी मां का पूरा इलाज हो सके और उपचार के बाद उनका फॉलोअप भी लिया जा सके। एनआरसी केन्द्र में कुपोषण के शिकार बच्चों को भर्ती कराने की जिम्मेदारी महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों को दी गई है। लेकिन एनआरसी केन्द्र में कुपोषित बच्चों के परिजन खुद ही पहुंच रहे है उन्हें योजना के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी नहीं होती है। जबकि उक्त कार्य के लिए महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। आदिवासी बाहुल जिले में जानकारी के अभाव में बच्चें कुपोषण या अतिकुपोषण का शिकार हो रहे है। बावजूद इसके महिला बाल विकास विभाग द्वारा बच्चों को एनआरसी तक पहुंचाने के लिए किसी प्रकार के ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है। शासन द्वारा कुपोषण नियंत्रण के लिए कई प्रयास किए जा रहे है लेकिन योजना का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर दम तोड़ते नजर आ रहा है। एनआरसी केन्द्र में भर्ती अतिकुपोषित रविन्द्र की मां सुमंत्रा ने बताया कि वह ग्राम सुनहरा की निवासी है। रविन्द्र 1 माह का है, जिसका वजन 1 किलो है। सुमंत्रा ने बताया कि पहले नैनपुर अस्पताल में बच्चें को भर्ती कराया था, उसके बाद शुक्रवार को जिला अस्पताल आए थे। तब एनआरसी केन्द्र के बारे में जानकारी मिली, उसके बाद ही यहां आए है। एनआरसी से मिली जानकारी के अनुसार रविन्द्र बहुत कमजोर है उसका वजन भी बहुत कम है। चूकि बच्चें को शुक्रवार को ही भर्ती किया गया, केन्द्र में उपचार शुरू कर दिया गया है।
गंभीर है सुदीप
एनआरसी में 4 मई से भर्ती सुदीप की मां द्रोपती ने बताया कि वह बिछिया ब्लाक के अंजनिया की निवासी है। सुदीप को जब एनआरसी में भर्ती कराया था तब उसका वजन मात्र 4.200 किलो था। हालत बेहद नाजुक होने के कारण सुदीप के स्वास्थ्य में बेहद धीमी गति से सुधार आ रहा है। एनआरसी से मिली जानकारी के अनुसार सुदीप का उपचार किया जा रहा है।

14 दिन के लिए भर्ती, 3 महीने मॉनीटरिंग
एनआरसी में बच्चों को 14 दिनों तक भर्ती रखा जाता। फिर यहां से छुट्टी के बाद तीन महिने महिला बाल विकास विभाग द्वारा बच्चों की निगरानी रखी जाती है। नियम के अनुसार जब तक बच्चे अस्पताल में रहते है माताओं को 120 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि दी जाती है। वहीं कुपोषित बच्चों को खोजकर लाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी विभाग से राशि दी जाती है।
नाम उम्र भर्ती दिनांक भर्ती वजन भर्ती के बाद
प्राची 17 माह 17 मई 7.190
सुदीप 5 माह 4 मई 4.200 4.555
सुभाष 41 माह 10 मई 11 11.560
मुस्कान 24 माह 11 मई 7.630 7.7710
लक्ष्य 8 माह 14 मई 5.345 5.340
सृष्टि मरावी 4 माह 9 मई 2.710 2.765
शिवा 5 माह 17 मई 3.870
रविंद्र 1 माह 17 मई 2
सुभाष 14 माह 10 मई 6.400 7.240
लकी 14 माह 9 मई 7 7.310
कृष्ण लता 14 माह 16 मई 5.805 5.960
पुष्पेंद्र 42 माह 16 मई 10.25 10.135
रूबी 42 माह 10 मई 10.500 10.625
भुवनेश्वर 16 माह 15 मई 6.905 6.960
गुरु चरण 28 माह 10 मई 9.850 10.100
कबीर 4 माह 11 मई 2.390 2.560
आदर्श 17 माह 13 मई 6.840 7.170
प्रतिज्ञा 24 माह 10 मई 8.130 8
नैनश्री 20 माह 9 मई 7.580 8
तनु 42 माह 9 मई 8.500 8.680

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