मंडलाPublished: Oct 14, 2020 10:47:43 am
Mangal Singh Thakur
साधकों के लिए विशेष फलदायी होगा शारदेय नवरात्र
अश्व पर आएंगी, भैंसा पर सवार होकर जाएंगी मां जगदंबे
मंडला. शारदीय नवरात्र के लिए अब कुछ ही दिन शेष है। मंदिरों व दुर्गोउत्सव समितियोंं द्वारा तैयारी जोर शोर से शुरू कर दी गई है। नवरात्र का प्रारंभ 17 अक्टूबर से होगा। इस बार नवरात्र में पूरे नौ दिन के रहेंगे। सनातन धर्म में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्र सर्वोत्तम समय माना जाता हैं। साल में चार बार आने वाले नवरात्र में मां भगवती की उपासना के लिए शारदीय नवरात्र का महत्व सबसे ज्यादा माना गया है। शारदीय नवरात्र का महत्व इसलिए भी है कि भगवान श्रीराम ने इन्हीं नवरात्र में आराधना कर मां भगवती को प्रसन्न कर विजयादशमी के दिन रावण का संहार किया था। श्रद्धा विश्वास से ऊर्जा और शक्ति की प्रतिक मां दुर्गा की उपासना से आज भी भक्त शांति और आत्म बल प्राप्त करते हैं।
शारदीय नवरात्र प्रारंभ होने के पूर्व लोगों के मन में यह जिज्ञासा बनी रहती हैं कि मां दुर्गा अपने पूरे परिवार के साथ किस वाहन पर सवार होकर आएगी ओर किस वाहन से वापस लौटेंगी। ज्योतिषशास्त्र में मां दुर्गा के आगमन एवं प्रस्थान के वाहन से ही आगामी वर्ष के अच्छे बुरे फल का अंदाज लगाया जाता हैं। इस बार माता का आगमन एवं प्रस्थान दोनों ही शासक वर्ग और प्रजा के लिए शुभ नहीं रहेंगे।
इस बार माता का आगमन व प्रस्थान दोनों ही शुभ नहीं है। वरदान आश्रम अंजनियां के पंडित रामगोपाल शात्री नीलू महाराज ने बताया कि इस वर्ष नवरात्र कलश स्थापना अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 17 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र में होगी। नवरात्र स्थापना शनिवार के दिन होने से देवी भागवत के अनुसार मां दुर्गा के आगमन की सवारी अश्व (घोड़ा) हैं। माता का आगमन अश्व पर हो तो पड़ोसी देशों से युद्ध की आशंका बढ़ जाती है। घोड़े पर माता का आगमन शासक वर्ग के लिए अशुभ माना गया है। इससे सरकार को प्रजा के विरोध का सामना करना पड़ता है और सत्ता परिवर्तन का योग बनता है।
वही इस बार विजयादशमी सोमवार 26 अक्टूबर को हैं। मां दुर्गा अपने पूरे परिवार के साथ महिषा (भैंसा) पर सवार होकर लौटेगी। जिसका फल होता हैं आम जन में शोक यानी देश में रोग ओर शोक की संभावनाएं। कुछ पंचांग में विजयादशमी रविवार 25 अक्टूबर को बताया गया है। क्योंकि 25 अक्टूबर को दशमी तिथि का प्रवेश एवं श्रवणा नक्षत्र है। नवरात्र में भक्त जन अपनी श्रद्धा, निष्ठा एवं भक्ति से मां की आराधना करेंगे तो उनका कल्याण होगा।
नीलू महाराज के अनुसार मां दुर्गा का आगमन एवं प्रस्थान श्वारश् यानि दिन से जुड़ा हैं। यदि रविवार व सोमवार से नवरात्रि पूजा प्रारंभ होती हैं तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है। शनिवार व मंगलवार को घोड़ा पर, गुरूवार व शुक्रवार को डोला पर और बुधवार को नवरात्रि शुरू होने पर मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आती हैं। मां जिस वाहन अपने परिवार सहित सवार होकर आती है उसका उसके अनुरूप फल देती है। माता का हाथी पर आना पानी की बढ़ोतरी, घोड़ा पर आना युद्ध की आशंका, नौका पर आना मनोकामनाएं पूर्ण होना और डोली पर आने से आक्रांत रोग, मृत्यु का भय बना रहता हैं।
वही मां के प्रस्थान का फल भी वार से जुड़ा हुआ है। यदि रविवार व सोमवार को विजयादशमी होती हैं तो मां दुर्गा भैंसा पर, शनिवार व मंगलवार को मुर्गा पर, बुधवार व शुक्रवार को गज पर एवं गुरूवार को नर वाहन पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं। मां भगवती के प्रस्थान का फल इस प्रकार होता है। भैंसा पर प्रस्थान करना शोक का माहौल, मुर्गा पर जन मानस में विकलता, गज पर अच्छी बारिश के संकेत एवं नरवाहन पर प्रस्थान शुभ सौख्य होता है। साधकों के लिए नवरात्र विशेष फलदायी होगा। नवरात्र के बीच कई शुभ मुर्हूत बन रहे हैं। जिसमें साधना करना शुभफल देने वाला होगा।