स्थानीय लोगों ने बताया कि मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करने के लिए शेड नहीं लगाया गया है। जिसके कारण खुले मैदान में अंतिम संस्कार करना पड़ता लोगों की मजबूरी है। यहां बारिश में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुक्तिधाम में सफाई नहीं कराई जा रही है। यहां अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुक्ति धाम में कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण लकड़ी के लिए गांव जाना पड़ता है। वहां से लकड़ी खरीदकर लाने के बाद अंतिम संस्कार हो पाता है।
अधूरे पड़े निर्माण कार्य :
मुक्ति धाम में दो कक्ष बनाये जा रहे थे। जिससे बारिश के समय शोक सभा के लिए काम आ सके और आने वाले लोगों को छांव मिल सके लेकिन मनरेगा के तहत कराये जा रहे कार्य अधूरे हैं। तकनीकी स्वीकृति के पहले काम शुरू कर दिया गया था। जिसके बाद भुगतान नहीं हुआ है। जिसके कारण निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है।
सुविधाओं के लिए ध्यान नहीं :
स्थानीय लोगों का कहना है कि मुक्ति धाम में सुविधाएं बनाने के लिए किसी का ध्यान नहीं है। स्थानीय जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत के द्वारा मुक्ति धाम के कायाकल्प के लिए कोई प्रयास नहीं किये जा रहे है। जिससे मुक्ति धाम की बदहाली पर यहां के लोगों को परेशानी उठानी पड रही है। मुक्ति धाम में साफ सफाई व सुविधाएं बढ़ाने की मांग स्थानीय लोगों ने की है।